झारखंड की सीएम मईंयां सम्मान योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। प्रशासन द्वारा की गई जांच के बाद 42,432 लाभार्थियों को अयोग्य करार दिया गया और उनका नाम योजना से हटा दिया गया। इस फैसले के पीछे मुख्य कारण यह है कि कई सरकारी वेतनभोगी और आर्थिक रूप से संपन्न लोग भी इस योजना का लाभ ले रहे थे, जबकि यह योजना जरूरतमंद महिलाओं के लिए शुरू की गई थी।
जांच में सामने आई गड़बड़ियां
लातेहार जिला प्रशासन द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि शुरू में जिले में 1.48 लाख लाभार्थियों का चयन किया गया था, लेकिन विस्तृत जांच के बाद उनमें से 42,432 लाभार्थी अपात्र पाए गए। इन अपात्र लाभार्थियों को सूची से बाहर कर दिया गया है ताकि योजना का लाभ केवल सही पात्र व्यक्तियों को ही मिले।
किन क्षेत्रों में सबसे अधिक अपात्र लाभार्थी मिले?
जिले के सभी प्रखंडों में गड़बड़ियां मिलीं, लेकिन सबसे अधिक अयोग्य लाभार्थी बालूमाथ प्रखंड में पाए गए। जांच में बालूमाथ से 7,078, लातेहार प्रखंड से 7,038, बरवाडीह से 4,803, चंदवा से 5,072 और महुआडांड से 4,417 लाभार्थी अयोग्य पाए गए। अन्य प्रखंडों में भी अपात्र लाभार्थियों की संख्या हजारों में रही।
सीएम मईंयां सम्मान योजना क्या है?
इस योजना की शुरुआत हेमंत सोरेन सरकार ने महिलाओं को आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से की थी। इसके तहत 18 से 50 वर्ष की महिलाओं को हर महीने ₹2500 दिए जाने का प्रावधान था। यह योजना झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों का हिस्सा थी। हालांकि, जांच में सामने आया कि कई ऐसे लोग भी इस योजना का लाभ उठा रहे थे, जो इसके पात्र नहीं थे।
अब आगे क्या?
राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि योजना को सही तरीके से लागू करने के लिए आगे भी जांच जारी रहेगी। जिन लाभार्थियों को अयोग्य पाया गया है, वे अब इस योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में कोई व्यक्ति फर्जी तरीके से इस योजना का लाभ उठाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
सरकार का दावा है कि इस कदम से जरूरतमंद महिलाओं को ही इस योजना का लाभ मिलेगा और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। वहीं, विपक्ष इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताकर सरकार पर निशाना साध रहा है।