झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के अति नक्सल प्रभावित कराइकेला थाना में तैनात एएसआई कृष्णा साहू ने आत्महत्या कर ली, जिससे पुलिस विभाग और उनके परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है। यह घटना बुधवार सुबह लगभग 6 बजे की है, जब कृष्णा साहू ने अपनी सर्विस इंसास राइफल से सिर में गोली मारकर अपनी जान ले ली। इस दर्दनाक घटना के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
काम के अत्यधिक दबाव और छुट्टी न मिलने से परेशान थे एएसआई
परिजनों के अनुसार, एएसआई कृष्णा साहू पिछले कुछ समय से मानसिक तनाव में थे। उन्हें छुट्टी नहीं मिल पा रही थी, जिससे वह बेहद परेशान थे। काम के अत्यधिक दबाव और लगातार सेवा देने के कारण वे मानसिक रूप से थक चुके थे। कई बार उन्होंने अपने परिवार के सामने इस बात का जिक्र भी किया था कि वे आत्महत्या करने का विचार कर रहे हैं।
कंठ में गोली मारकर की आत्महत्या
मिली जानकारी के अनुसार, एएसआई कृष्णा साहू ने अपनी सर्विस इंसास राइफल से कंठ में गोली मारी, जो सिर के ऊपर से निकल गई। गोली लगने के कारण उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और घटना की जांच शुरू कर दी गई है।
2021 में कराइकेला थाना में हुआ था पदस्थापन
कृष्णा साहू का 2021 में कराइकेला थाना में पदस्थापन हुआ था। कराइकेला थाना एक अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, जहां काम का अत्यधिक दबाव और तनाव होता है। इस क्षेत्र में लगातार सुरक्षा बलों को नक्सली गतिविधियों पर निगरानी रखनी पड़ती है, जिससे उनके काम का बोझ बढ़ जाता है। साहू को कई महीनों से छुट्टी नहीं मिल पा रही थी, जिससे उनका मानसिक तनाव और बढ़ गया था।
पुलिस एसोसिएशन ने सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल
पुलिस एसोसिएशन चाईबासा के सचिव संतोष राय ने इस घटना के बाद सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि झारखंड सरकार के नियमों के मुताबिक, जमादार या सिपाही का हर दो साल में ट्रांसफर होना चाहिए, ताकि वे अपने परिवार के पास जा सकें और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें। लेकिन कुछ सिपाही और जमादार 5 से 10 साल तक भी एक ही स्थान पर तैनात रहते हैं, जिससे वे मानसिक तनाव में आ जाते हैं। संतोष राय ने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए और पुलिसकर्मियों की छुट्टियों और ट्रांसफर संबंधी प्रक्रियाओं को सुधारना चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी बनी आत्महत्या का कारण
यह घटना एक बार फिर इस बात की ओर इशारा करती है कि पुलिसकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी की जा रही है। अत्यधिक काम के दबाव और लगातार तनाव में रहने के कारण कई पुलिसकर्मी मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं और ऐसे कठोर कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिसकर्मियों के लिए नियमित मानसिक स्वास्थ्य जांच और काउंसलिंग सत्रों की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि वे अपने तनाव को नियंत्रित कर सकें और इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। साथ ही, उन्हें समय-समय पर छुट्टी देकर परिवार के साथ समय बिताने का अवसर दिया जाना चाहिए, जिससे वे मानसिक रूप से स्वस्थ रहें और अपने कर्तव्यों को सही तरीके से निभा सकें।
सरकार और प्रशासन से उम्मीद
इस घटना ने पुलिस प्रशासन और सरकार के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या पुलिसकर्मियों की मानसिक स्थिति और उनके काम के बोझ पर ध्यान दिया जा रहा है? क्या उन्हें समय पर छुट्टियां मिल रही हैं? और क्या पुलिसकर्मियों की समस्याओं को गंभीरता से लिया जा रहा है?
अब देखना यह है कि सरकार और पुलिस प्रशासन इस घटना से क्या सबक लेते हैं और पुलिसकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
निष्कर्ष
एएसआई कृष्णा साहू की आत्महत्या एक बेहद दुखद और चिंताजनक घटना है, जो पुलिसकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके काम के दबाव की गंभीर स्थिति को उजागर करती है। सरकार और पुलिस विभाग को इस दिशा में गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों और पुलिसकर्मी मानसिक रूप से स्वस्थ रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।