केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2025-26 में ‘सक्षम आंगनबाड़ी’ और ‘पोषण 2.0’ कार्यक्रम के तहत लागत मानदंडों में वृद्धि करने की घोषणा की है। यह निर्णय झारखंड सहित पूरे देश के आंगनबाड़ी केंद्रों के आधुनिकीकरण और कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को मजबूती देगा। खासकर झारखंड के उन 6,850 आंगनबाड़ी केंद्रों को सीधा लाभ मिलेगा, जिन्हें राज्य सरकार महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के तहत ‘सक्षम’ बनाने की प्रक्रिया में है।

झारखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों को क्या मिलेगा फायदा?

झारखंड में वर्तमान में 38,432 आंगनबाड़ी केंद्र कार्यरत हैं, जिनमें से 6,850 केंद्रों को ‘सक्षम आंगनबाड़ी’ के रूप में अपग्रेड किया जा रहा है। केंद्रीय बजट में की गई घोषणा से इन केंद्रों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इन सुविधाओं में—

स्मार्ट टीवी और डिजिटल लर्निंग टूल्स – ताकि बच्चों की शिक्षा को रोचक और प्रभावी बनाया जा सके।

एलपीजी गैस कनेक्शन – जिससे आंगनबाड़ी केंद्रों में भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित हो।

शुद्ध पेयजल के लिए वाटर प्यूरीफायर – जिससे बच्चों और माताओं को साफ पानी मिल सके।

विद्युतीकरण और स्वच्छता सुविधाएं – केंद्रों में बिजली की व्यवस्था और स्वच्छ शौचालय उपलब्ध कराना।

खेल और शैक्षणिक सामग्री – जिससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ावा मिले।

झारखंड में कुपोषण के खिलाफ बड़ा कदम

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, झारखंड में 3 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण से प्रभावित हैं। ‘सक्षम आंगनबाड़ी’ और ‘पोषण 2.0’ कार्यक्रम के तहत इन बच्चों को विशेष पोषण सहायता मिलेगी। इस योजना के तहत—

• गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषणयुक्त आहार दिया जाएगा।

• बच्चों को पूरक पोषण और आयरन की गोलियां उपलब्ध कराई जाएंगी।

• आंगनबाड़ी केंद्रों पर नियमित टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच होगी।

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया

समाज कल्याण निदेशक किरण पासी के अनुसार, झारखंड सरकार की योजना सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को स्मार्ट और सक्षम बनाने की है। जब 6,850 केंद्र पूरी तरह सक्षम आंगनबाड़ी केंद्रों में बदल जाएंगे, तब केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ अधिक प्रभावी रूप से मिलेगा।

निष्कर्ष

बजट 2025-26 में झारखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों के आधुनिकीकरण और पोषण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। यह कदम राज्य में बच्चों के संपूर्ण विकास और कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाएगा। अब देखना यह होगा कि इन योजनाओं को जमीनी स्तर पर कितनी तेजी से लागू किया जाता है और इसका वास्तविक प्रभाव कितना व्यापक होता है।

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