नई दिल्ली/जम्मू

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए एक बड़े सैन्य अभियान को अंजाम दिया, जिसे नाम दिया गया है “ऑपरेशन सिंदूर”। यह अभियान भारतीय सेना, वायुसेना और खुफिया एजेंसियों की संयुक्त रणनीति के तहत 6 मई 2025 को शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करना था।

ऑपरेशन का उद्देश्य और रणनीति

ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य उन आतंकी संगठनों के ठिकानों को खत्म करना था जो भारत में आतंकी हमलों की साजिश रचते हैं। इन संगठनों में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे गुट प्रमुख हैं। इस अभियान में 9 प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें प्रशिक्षण शिविर, हथियार डिपो, संचार केंद्र और आतंकी भर्ती स्थल शामिल थे।

भारतीय वायुसेना ने सटीक मिसाइल हमलों के जरिए इन स्थानों को ध्वस्त किया। सेना के अनुसार, इस कार्रवाई में लगभग 100 आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और सीमावर्ती तनाव

पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को लेकर कड़ा विरोध दर्ज किया है और दावा किया है कि भारत ने नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया है। पाकिस्तान की वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई में भारतीय ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराने का भी दावा किया है। इसके साथ ही LoC (नियंत्रण रेखा) पर दोनों ओर से भारी गोलीबारी हुई, जिससे सीमावर्ती इलाकों में तनाव चरम पर पहुंच गया है।

भारत ने स्पष्ट किया है कि उसके हमले केवल आतंकवादी ठिकानों पर केंद्रित थे और नागरिक इलाकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया।

देशभर में हाई अलर्ट, नागरिक सतर्क

ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश के कई हिस्सों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पंजाब, राजस्थान, गुजरात और जम्मू-कश्मीर में एयर डिफेंस सिस्टम एक्टिवेट किया गया है। कई हवाईअड्डों पर उड़ानें रद्द की गईं और संवेदनशील क्षेत्रों में ब्लैकआउट और कर्फ्यू जैसे कदम उठाए गए हैं।

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्कता बरतने और खुफिया इनपुट्स पर त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव पर संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और तुर्की जैसे देशों ने चिंता व्यक्त की है। वैश्विक नेताओं ने दोनों देशों से संयम बरतने और कूटनीतिक रास्ता अपनाने की अपील की है। हालांकि भारत का कहना है कि यह कार्रवाई आतंक के खिलाफ सीमित सैन्य प्रतिक्रिया थी, न कि युद्ध की शुरुआत।

राजनीतिक और राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

भारत में इस ऑपरेशन को लेकर राजनीतिक दलों ने एक सुर में समर्थन जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम” बताया, वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि यदि आतंकवादी गतिविधियां जारी रहीं, तो ऑपरेशन सिंदूर का अगला चरण भी संभव है।

विपक्ष ने भी इस कार्रवाई का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होना चाहिए।

निष्कर्ष

ऑपरेशन सिंदूर भारत की ओर से एक स्पष्ट संदेश है कि आतंकवाद और उसके सरपरस्तों को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कार्रवाई न केवल आतंकी ढांचे को नुकसान पहुंचाने में सफल रही है, बल्कि इससे भारत की रणनीतिक क्षमता और सैन्य इच्छाशक्ति भी विश्व पटल पर सामने आई है।

आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कूटनीतिक स्तर पर भारत इस अभियान को कैसे प्रस्तुत करता है और क्या इससे आतंक के नेटवर्क पर दीर्घकालिक असर पड़ता है।

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