रांची

झारखंड में बालू घाटों की व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक सुधार करते हुए गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला लिया। अब राज्य के कैटेगरी-2 अंतर्गत आने वाले 444 बालू घाटों के टेंडर जिला स्तर पर कराए जाएंगे। इसके लिए ‘झारखंड सैंड माइनिंग रूल्स-2025’ को कैबिनेट से स्वीकृति मिल गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह अहम निर्णय लिया गया, जहां कुल 34 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

अब ज़िला प्रशासन करेगा टेंडर प्रक्रिया का संचालन

नए नियमों के तहत अब तक राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड (JSMDC) द्वारा जो टेंडर प्रक्रिया चलाई जा रही थी, उसे अब जिला स्तर पर ट्रांसफर किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2017 में बनी सैंड माइनिंग पॉलिसी के तहत 8 वर्षों में केवल 35 घाटों का ही प्रभावी संचालन संभव हो पाया था, जबकि घाटों की कुल संख्या 444 है। इससे सरकार को भारी राजस्व हानि हो रही थी। अब इस नई प्रणाली से स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता बढ़ेगी, नियंत्रण मजबूत होगा और सरकार की आमदनी भी बढ़ेगी

पुलिसकर्मियों के लिए नई सेवा नियमावली

कैबिनेट ने पुलिस विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के लिए भी एक और बड़ा फैसला लिया है। ‘झारखंड राज्य पुलिस ट्रेड संवर्ग नियमावली-2025’ को मंजूरी दी गई है, जिससे अब इन कर्मचारियों के लिए प्रोन्नति का रास्ता साफ हो गया है। नियमावली के अनुसार, सभी पदों पर अब 50% सीधी भर्ती और 50% पदों पर सीमित प्रतियोगिता परीक्षा से पदोन्नति दी जाएगी। पहले इन कर्मियों के लिए कोई स्पष्ट सेवा नियमावली नहीं थी।

उग्रवादियों और अपराधियों के खिलाफ नीति में संशोधन

राज्य सरकार ने उग्रवादियों और कुख्यात अपराधियों की गिरफ्तारी पर मिलने वाली पुरस्कार राशि की नीति में भी बदलाव किया है। अब यह राशि पांच अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित की जाएगी। नई नीति में सामूहिक हत्या, फिरौती के लिए अपहरण, डकैती, अवैध हथियार, साइबर क्राइम, और नकली मुद्रा जैसे गंभीर अपराधों को शामिल किया गया है। हालांकि प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों के सदस्यों को इस नीति के दायरे से बाहर रखा गया है।

निष्कर्ष:

राज्य सरकार के ये फैसले न केवल प्रशासनिक सुचारूता को बढ़ावा देंगे, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था, पुलिस बल और अपराध नियंत्रण के क्षेत्र में भी सकारात्मक असर डालेंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लिया गया यह निर्णय राज्य के संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक मजबूत कदम है।

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