रांची
देशभर में फर्जी GST इनवॉइस बनाकर टैक्स चोरी करने वाले नेटवर्क के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई की। झारखंड, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के कुल 9 शहरों में एक साथ छापेमारी अभियान चलाया गया। इस दौरान रांची, जमशेदपुर और कोलकाता समेत विभिन्न ठिकानों पर ईडी की टीमें पहुंचीं और तलाशी अभियान शुरू किया।
14,325 करोड़ का फर्जी लेनदेन, 800 करोड़ का ITC घोटाला
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया कि कुछ कारोबारियों ने मिलकर 90 से अधिक शेल कंपनियों के माध्यम से लगभग 14,325 करोड़ रुपये के फर्जी GST इनवॉइस जारी किए। इसके आधार पर 800 करोड़ रुपये से अधिक का गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम किया गया, जिससे सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
ईडी ने बताया कि इन फर्जी कंपनियों के जरिये बिना किसी वास्तविक व्यापार के सिर्फ कागजों पर लेनदेन दिखाकर इनवॉइस तैयार की गईं। इन कंपनियों का इस्तेमाल कर टैक्स चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला नेटवर्क को भी अंजाम दिया गया।
रांची से कारोबारी विवेक नरसरिया गिरफ्तार
इस कार्रवाई के दौरान रांची से कारोबारी विवेक नरसरिया को ईडी ने गिरफ्तार किया। नरसरिया की पहचान मनीष ट्रेडिंग कंपनी के संचालक के रूप में हुई है, जो इस घोटाले में सक्रिय भूमिका निभा रहा था। उसके खिलाफ पहले भी DGGI (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस) द्वारा जांच की जा चुकी है।
कोलकाता व जमशेदपुर में भी ताबड़तोड़ छापे
कोलकाता में ईडी की एक टीम ने कारोबारी शिव कुमार देवड़ा के ठिकानों पर तलाशी ली, जबकि जमशेदपुर में सगे भाई अमित और सुमित गुप्ता के परिसरों पर छापेमारी की गई। ये दोनों नाम पूर्व में जीएसटी विभाग द्वारा फर्जीवाड़े के मामलों में गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं। जांच एजेंसियों को संदेह है कि इन कारोबारियों का नेटवर्क अंतरराज्यीय स्तर पर फैला हुआ है।
शेल कंपनियों के ज़रिए टैक्स चोरी की साजिश
ईडी के सूत्रों के अनुसार, आरोपी कारोबारियों ने 90 से अधिक फर्जी कंपनियां बनाई थीं, जो केवल कागज पर अस्तित्व में थीं। इन कंपनियों के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जी लेनदेन दिखाया गया ताकि वास्तविक कर देनदारी से बचा जा सके। इन कंपनियों की कोई उत्पादन इकाई या व्यापारिक गतिविधि नहीं थी, केवल GST के तहत टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया।
अगले चरण में और गिरफ्तारियां संभव
ईडी की छापेमारी अभी भी जारी है और कई दस्तावेजों, डिजिटल डाटा और लेनदेन की जांच की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में और भी कारोबारी तथा बिचौलियों की गिरफ्तारी जल्द हो सकती है। एजेंसियां यह भी पता लगा रही हैं कि इस घोटाले में किसी सरकारी अधिकारी या बैंक कर्मी की भूमिका थी या नहीं।