झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की सियासी जंग में भाजपा ने अपने 66 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में पार्टी ने केवल दो मौजूदा विधायकों का टिकट काटते हुए नए चेहरों पर दांव लगाया है, वहीं बाकी बड़े नेताओं और पुराने चेहरों को बरकरार रखा गया है। खास बात यह है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में हारने वाले तीन प्रत्याशियों को विधानसभा चुनाव के लिए मौका दिया है, जो पार्टी की नई रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

अर्जुन मुंडा को छोड़, सभी बड़े चेहरे मैदान में

भाजपा ने इस चुनाव में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को छोड़कर बाकी सभी बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है। अर्जुन मुंडा झारखंड में भाजपा का एक बड़ा चेहरा हैं, लेकिन उन्हें इस बार चुनावी मैदान से दूर रखा गया है। वहीं, पार्टी ने अपने अन्य बड़े नेताओं को महत्वपूर्ण सीटों से उम्मीदवार बनाकर एक मजबूत दांव खेला है।

लोकसभा चुनाव हारने वाले अब विधानसभा में

भाजपा ने उन तीन नेताओं पर भरोसा जताया है जो लोकसभा चुनाव में हार का सामना कर चुके हैं। गीता कोड़ा, जिन्हें जगन्नाथपुर से प्रत्याशी बनाया गया है, समीर उरांव को विशुनपुर से मैदान में उतारा गया है। वहीं, सीता सोरेन को जामताड़ा से टिकट दिया गया है, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मंत्री इरफान अंसारी से होगा। इन नेताओं को विधानसभा चुनाव में मौका देकर पार्टी ने संकेत दिया है कि वह लोकसभा में हारे हुए प्रत्याशियों को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर रही है, बल्कि उन्हें दूसरी जिम्मेदारियों के साथ आगे बढ़ाने की रणनीति अपना रही है।

पूर्व सांसदों को भी मिला मौका

भाजपा ने अपनी रणनीति के तहत कुछ पूर्व सांसदों को भी विधानसभा चुनाव में उतारा है। इनमें प्रमुख नाम सुदर्शन भगत, रविंद्र पांडे, और सुनील सोरेन का है। सुदर्शन भगत को गुमला से, रविंद्र पांडे को बेरमो से, और सुनील सोरेन को दुमका से प्रत्याशी बनाया गया है। इन नेताओं की राजनीतिक पहचान और स्थानीय स्तर पर उनकी पकड़ को देखते हुए पार्टी ने इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी हैं।

सीता सोरेन बनाम इरफान अंसारी: जामताड़ा की रोचक टक्कर

जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने सीता सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया है, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार के मंत्री इरफान अंसारी से होगा। यह मुकाबला बेहद दिलचस्प माना जा रहा है, क्योंकि इरफान अंसारी का इस क्षेत्र में खासा प्रभाव है, वहीं सीता सोरेन भी क्षेत्र में एक मजबूत प्रत्याशी के रूप में उभर रही हैं। यह सीट इस बार के चुनाव में हॉटस्पॉट बनने वाली है, जहां दोनों दलों के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।

भाजपा की रणनीति और सीटों का बंटवारा

भाजपा ने इस बार अपने प्रत्याशियों के चयन में काफी सोच-समझकर रणनीति बनाई है। जिन सीटों पर पार्टी को अधिक भरोसा है, वहां पुराने और अनुभवी चेहरों को मौका दिया गया है, जबकि नए चेहरों को भी मौका दिया गया है ताकि नए विचारों और ऊर्जावान नेतृत्व को आगे लाया जा सके। पार्टी ने जिन विधायकों का टिकट काटा है, उनके कामकाज से पार्टी आलाकमान संतुष्ट नहीं था, जिसके चलते उन्हें बाहर किया गया है।

भाजपा का लक्ष्य है कि इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर झारखंड में अपनी सरकार बनाए। पार्टी की रणनीति में पुराने नेताओं के अनुभव और नए चेहरों की ताजगी का मिश्रण देखने को मिल रहा है, जो चुनावी जीत के लिए एक संतुलित समीकरण हो सकता है।

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