जमशेदपुर: झारखंड में गरीबों को वितरित किए जाने वाले 9,20,245 कंबलों की खरीद और वितरण में गड़बड़ियों के आरोप सामने आए हैं। विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर इस मामले में विस्तृत जांच कराने की मांग की है।
कंबल आपूर्ति और गड़बड़ी के आरोप
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राज्य के 24 जिलों में गरीबों को वितरित करने के लिए कंबल खरीदे गए थे।
- कंबल आपूर्ति का ठेका ओम शक्ति टेक्सटाइल्स, पानीपत (हरियाणा) और बिहारी लाल चौधरी ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड, धनबाद को दिया गया था।
- आपूर्ति की समय सीमा 11 जनवरी, 2025 निर्धारित की गई थी, लेकिन अब तक वितरण अधूरा है।
गुणवत्ता और मानकों का उल्लंघन
सरयू राय ने पत्र में दावा किया कि कंबलों की गुणवत्ता और उत्पादन प्रक्रिया में कई अनियमितताएं हुई हैं:
- हथकरघा उत्पादन की अनदेखी: टेंडर के अनुसार, कंबल को हाथकरघा तकनीक से बनाया जाना था, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, पावरलूम का उपयोग किया गया।
- थ्रेड मिक्सिंग का उल्लंघन: कंबल में 70% ऊनी धागा और 30% सिंथेटिक धागा होना चाहिए था। लेकिन जांच में पाया गया कि अधिकांश कंबलों में सिर्फ 35-40% ऊनी धागा है।
- वजन मानकों का उल्लंघन: हर कंबल का वजन धुलाई के बाद कम से कम दो किलोग्राम होना चाहिए था, लेकिन वितरित कंबल इस मानक को पूरा नहीं कर रहे हैं।
- रीसाइक्लिंग सामग्री का उपयोग: टेंडर में नया पॉलिएस्टर इस्तेमाल करने का निर्देश था, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार रीसाइक्लिंग सामग्री का उपयोग किया गया।
टेंडर प्रक्रिया में खामियां
- विधायक ने टेंडर मूल्यांकन प्रक्रिया में भी गड़बड़ी का आरोप लगाया है।
- उन्होंने दावा किया कि तकनीकी मूल्यांकन से पहले वित्तीय बोलियों का आकलन किया गया, जो मानक प्रक्रिया का उल्लंघन है।
केंद्रित खरीद प्रणाली में गड़बड़ी
इस वर्ष, कंबल खरीद प्रक्रिया को गुणवत्ता सुधार के उद्देश्य से केंद्रीकृत किया गया और प्रति कंबल की कीमत पिछले साल की तुलना में ₹75-100 अधिक निर्धारित की गई।
- हालांकि, केंद्रीकृत प्रक्रिया के बावजूद, टेंडर शर्तों का पालन नहीं किया गया।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, आपूर्तिकर्ता दो प्रकार के कंबल वितरित कर रहे हैं, जिनमें से लगभग 10% कंबल टेंडर मानकों पर खरे हैं, जबकि 90% कंबल निम्न गुणवत्ता के हैं।
सरयू राय की मांग
विधायक ने मुख्यमंत्री से:
- जांच प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया है।
- सभी जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों से कंबलों के नमूने लेकर गुणवत्ता परीक्षण कराने की मांग की।
- परीक्षण के आधार पर दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है।
निष्कर्ष
झारखंड सरकार द्वारा गरीबों की मदद के उद्देश्य से शुरू की गई कंबल वितरण योजना में अनियमितताओं के आरोपों ने सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि ये आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग होगा, बल्कि जरूरतमंदों के साथ अन्याय भी होगा। अब मुख्यमंत्री और प्रशासन पर यह जिम्मेदारी है कि वे त्वरित कार्रवाई कर गड़बड़ियों को ठीक करें और दोषियों को दंडित करें।