झारखंड में हाल ही में सामने आए एक विवादित मामले ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। इस मामले में एक मुस्लिम युवक, अब्दुल कलाम, की ग्रामीणों द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, जिस पर एक आदिवासी महिला से बलात्कार की कोशिश का आरोप था। इस घटना के बाद, राज्य सरकार द्वारा मृतक के परिजनों को 6 लाख रुपये की आर्थिक मदद और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा के बाद सियासी घमासान छिड़ गया है।
घटना का सिलसिला: क्या हुआ था?
बोकारो जिले के कडरूखुट्ठा गांव में 13 मई को एक आदिवासी महिला तालाब में स्नान करने गई थी। महिला का आरोप है कि उसी समय गांव में मजदूरी करने वाला अब्दुल कलाम नाम का युवक वहां पहुंचा और उसके साथ छेड़छाड़ करने लगा। महिला के शोर मचाने पर आसपास के ग्रामीण इकट्ठा हो गए और उन्होंने आरोपी को पकड़कर जमकर पिटाई की। इलाज के दौरान अब्दुल की मौत हो गई।
इस घटना के बाद जहां ग्रामीणों में तनाव था, वहीं राज्य सरकार की प्रतिक्रिया ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया: आर्थिक सहायता और नौकरी का वादा
14 मई को झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी मृतक के घर पहुंचे और परिवार को ढांढस बंधाया। उन्होंने परिवार को 6 लाख रुपये की मदद (जिसमें 4 लाख मुआवज़ा और 2 लाख तत्काल सहायता शामिल है) देने की घोषणा की और साथ ही परिवार के एक सदस्य को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी देने का वादा किया।
इरफान अंसारी ने इस मुलाकात की तस्वीरें और जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए इसे मॉब लिंचिंग की घटना करार दिया और कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अन्याय है।
भाजपा का पलटवार: “रेपिस्ट के लिए मुआवज़ा, पीड़िता के लिए मौन?”
सरकार की इस कार्रवाई पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इरफान अंसारी की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा:
“दुष्कर्मी के लिए मुआवज़ा, पीड़िता के लिए मौन — यही है हेमंत सोरेन का झारखंड मॉडल!”
मरांडी ने दावा किया कि अब्दुल कलाम एक आदिवासी महिला के साथ बलात्कार करने की कोशिश कर रहा था और ग्रामीणों ने उसकी पिटाई की, जिसके कारण उसकी मौत हुई। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह आदिवासी महिला को न्याय दिलाने के बजाय आरोपी को पीड़ित बनाकर पेश कर रही है।
मरांडी ने इसे “मुस्लिम तुष्टिकरण” की राजनीति बताया और कहा कि पीड़िता आदिवासी समाज से आती है, इसलिए राज्य सरकार की चुप्पी दर्शाती है कि वोटबैंक की राजनीति इंसाफ से ऊपर है। उन्होंने सवाल किया:
“क्या आदिवासी अब इस राज्य में दोयम दर्जे के नागरिक हैं?”
“क्या किसी ‘राजनीतिक रूप से सुरक्षित समुदाय’ से आने वाले आरोपी को ही अब सरकार पीड़ित मानेगी?”
इरफान अंसारी का जवाब: “भीड़ न्याय को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता”
मंत्री इरफान अंसारी ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि किसी पर आरोप लगने मात्र से उसकी हत्या कर देना न्याय नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि भीड़ द्वारा हत्या देश के संविधान और कानून के खिलाफ है। उन्होंने भाजपा पर समाज में धार्मिक ध्रुवीकरण फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि वह इस मामले को सांप्रदायिक रंग देकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही है।
समाज में उबाल: आदिवासी संगठनों और मानवाधिकार संस्थाओं की प्रतिक्रिया
इस मामले में आदिवासी संगठनों ने भी राज्य सरकार से नाराज़गी जताई है। संगठनों ने आरोप लगाया कि सरकार ने पीड़िता की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और एक बलात्कार आरोपी के परिवार को सहायता देकर गलत उदाहरण पेश किया है। वहीं, कुछ मानवाधिकार संगठनों ने कहा कि भीड़ के हाथों किसी की हत्या होना गंभीर चिंता का विषय है, और किसी भी हाल में ‘भीड़ न्याय’ को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
राजनीतिक और सामाजिक विमर्श: मामला केवल एक घटना नहीं
इस मामले ने झारखंड में एक गहरे और संवेदनशील मुद्दे को उजागर किया है — ‘वोटबैंक बनाम आदिवासी अस्मिता’। एक ओर राज्य सरकार अपने निर्णय को मानवीय दृष्टिकोण बता रही है, वहीं विपक्ष इसे आदिवासी समाज के अपमान और मुस्लिम तुष्टिकरण की साजिश कह रहा है।
विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर विधानसभा में भी सरकार को घेरने की योजना बना रहे हैं। वहीं सत्तारूढ़ दल की ओर से अभी तक पीड़िता को लेकर कोई सार्वजनिक बयान सामने नहीं आया है, जिससे विरोध और भी तेज़ हो गया है।
निष्कर्ष: संवेदनशीलता की कसौटी पर खड़ी सरकार
यह मामला सिर्फ एक अपराध, एक मौत या एक सहायता राशि का नहीं है। यह राज्य सरकार की संवेदनशीलता, न्याय व्यवस्था, और सामाजिक संतुलन की परीक्षा है।
क्या सरकार आदिवासी महिला को न्याय दिला पाएगी?
या फिर यह मामला भी अन्य राजनीतिक मुद्दों की तरह धीरे-धीरे सियासी कोलाहल में गुम हो जाएगा?
आने वाले दिनों में यह मुद्दा न सिर्फ सड़कों पर, बल्कि अदालतों और विधानसभा में भी गूंज सकता है।