झारखंड में सामने आए बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच अब नए चरण में प्रवेश कर चुकी है। इस घोटाले की परतें खोलने में जुटी एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने दो आईएएस अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। इन अधिकारियों की भूमिका गवाह के रूप में देखी जा रही है। ACB ने उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया है।
जानकारी के मुताबिक, जिन अधिकारियों को नोटिस भेजा गया है, उनमें एक हैं जमशेदपुर के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी और दूसरे रामगढ़ के उपायुक्त फैज अक अहमद मुमताज। ये दोनों अधिकारी पहले झारखंड के उत्पाद विभाग में कार्यरत रह चुके हैं। उस दौरान उन्होंने विभाग में चल रही कई अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई की थी, विशेष रूप से मैनपावर उपलब्ध कराने वाली प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ। इन एजेंसियों पर आरोप है कि इन्होंने शराब की दुकानों के संचालन के लिए फर्जी तरीके से कर्मचारियों की आपूर्ति की और सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया।
क्या है घोटाले की पृष्ठभूमि?
यह घोटाला राज्य की नई शराब नीति लागू होने के बाद उजागर हुआ, जिसमें सरकार ने खुदरा शराब बिक्री की जिम्मेदारी अपने हाथों में लेते हुए JSBCL (झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड) के माध्यम से काम शुरू किया। इस व्यवस्था के अंतर्गत शराब दुकानों के लिए मैनपावर की आपूर्ति निजी प्लेसमेंट एजेंसियों से की गई। जांच में सामने आया कि इन एजेंसियों ने फर्जी नामों से कर्मचारियों की भर्ती दिखाई, बोगस अकाउंट्स में वेतन भेजा गया और हजारों नियुक्तियां केवल कागजों पर ही की गईं।
इन वित्तीय अनियमितताओं में सीधे तौर पर संलिप्त पाए गए तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह और JSBCL के वित्त अधिकारी वर्तमान में जेल में बंद हैं। इनसे पूछताछ के दौरान कुछ ऐसे दस्तावेज सामने आए जिनसे यह पुष्टि होती है कि विभाग में बैठे कुछ लोगों ने जानबूझकर इन एजेंसियों को संरक्षण दिया।
क्यों अहम है इन IAS अफसरों का बयान?
ACB के अधिकारियों का मानना है कि जब कर्ण सत्यार्थी और फैज अहमद मुमताज उत्पाद विभाग में तैनात थे, उस दौरान उन्होंने प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कदम उठाए थे। यही कारण है कि उन्हें गवाह के रूप में बुलाया गया है ताकि घोटाले के बारे में अंदरूनी जानकारी मिल सके। इनके पास विभागीय बैठकों, आदेशों और प्रारंभिक रिपोर्टों की प्रतियां हो सकती हैं, जो जांच को निर्णायक मोड़ पर ले जा सकती हैं।
विपक्ष के सवाल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने ACB जांच पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि अगर जांच एजेंसियों का उद्देश्य वास्तव में सच्चाई उजागर करना है, तो उन्हें यह भी देखना चाहिए कि इस मामले को लेकर पूर्व में उन्होंने मुख्यमंत्री को जो पत्र लिखा था, उस पर क्या कार्रवाई हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि वह पत्र या तो पढ़ा ही नहीं गया या जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया गया। मरांडी ने पूछा कि आखिर मुख्यमंत्री कार्यालय इस गंभीर विषय को लेकर कितनी पारदर्शिता बरत रहा है।
निष्कर्ष
ACB की यह कार्रवाई संकेत देती है कि जांच एजेंसी अब घोटाले की गहराई तक जाकर पूरे तंत्र का पर्दाफाश करने की कोशिश में है। गवाह के रूप में वरिष्ठ अधिकारियों के बयान से उन कड़ियों को जोड़ा जा सकेगा, जो अब तक केवल अनुमानों पर आधारित थीं। यदि यह गवाही सबूतों के साथ होती है, तो जांच एजेंसी के लिए यह बड़ा ब्रेकथ्रू साबित हो सकता है।