शराब घोटाले में विनय कुमार चौबे की गिरफ्तारी से राज्य में एक बार फिर उठे प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल

झारखंड की अफसरशाही एक बार फिर कठघरे में है। राज्य गठन के बाद से अब तक कुल छह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल भेजा जा चुका है। हाल ही में उत्पाद नीति में अनियमितताओं के मामले में गिरफ्तार हुए वरिष्ठ अधिकारी विनय कुमार चौबे इस सूची में नया नाम बन गए हैं। चौबे की खास बात यह रही कि उनका रांची जिला से गहरा नाता रहा है—वे इस जिले के उपायुक्त के पद पर भी कार्यरत रह चुके हैं।

इससे पहले भी जिन पांच IAS अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई, उनमें से चार कभी न कभी रांची के डीसी रह चुके हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या राजधानी का जिला प्रशासन भ्रष्टाचार के मामलों में सबसे ज्यादा संवेदनशील रहा है?

इन अधिकारियों को जाना पड़ा जेल

  1. सजल चक्रवर्ती – बहुचर्चित चारा घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें सजा मिली।
  2. डॉ. प्रदीप कुमार – दवा खरीद घोटाले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए।
  3. छवि रंजन – जमीन घोटाले के दो मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया।
  4. विनय कुमार चौबे – हाल ही में शराब घोटाले में एसीबी द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजे गए।
  5. पूजा सिंघल – मनरेगा घोटाले और अन्य वित्तीय अनियमितताओं में ED ने गिरफ्तार किया, फिलहाल ज़मानत पर बाहर हैं।
  6. सियाराम प्रसाद सिन्हा – भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए, अब ज़मानत पर हैं।

रांची से नाता रखने वाले अफसर क्यों फंसते हैं?

इनमें से चार अधिकारी रांची जिले में उपायुक्त रह चुके हैं। यह तथ्य गंभीर प्रश्न खड़े करता है कि राजधानी जिला प्रशासन में क्या भ्रष्ट आचरण की संभावना ज्यादा रहती है, या फिर उच्चस्तरीय पदों पर बैठे अधिकारी ही सबसे ज्यादा जांच के दायरे में आते हैं?

नामजद एफआईआर के बाद राहत भी मिली

रांची के पूर्व डीसी रहे एसएन वर्मा और सुधीर प्रसाद के खिलाफ भी एसीबी ने जमीन घोटाले के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की थी, लेकिन बाद में झारखंड उच्च न्यायालय से दोनों को राहत मिल गई।

चारा घोटाले में पांच IAS दोषी करार

रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के अलग-अलग मामलों में सजल चक्रवर्ती, महेश प्रसाद, के अरुणगम, फूल चंद्र सिंह और बेक जुलियस को सजा सुनाई। ये सभी वरिष्ठ IAS अधिकारी रहे हैं।

मरांडी ने उठाई सीबीआई जांच की मांग

भ्रष्टाचार के मामलों में लगातार बढ़ रही गिरफ्तारियों के बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की एसीबी जांच पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा किया कि शराब घोटाले की आशंका उन्होंने पहले ही जाहिर की थी और अप्रैल 2022 में इस बाबत राज्य सरकार को पत्र भी लिखा था।

मरांडी ने आरोप लगाया कि जैसे छत्तीसगढ़ में संगठित तरीके से शराब कारोबार में घोटाला किया गया, वैसी ही साजिश झारखंड में भी रची गई। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि कुछ प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए चुनिंदा अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।

उनका यह भी कहना है कि यदि सरकार वास्तव में सच उजागर करना चाहती है, तो उसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की सिफारिश करनी चाहिए।

निष्कर्ष

विनय कुमार चौबे की गिरफ्तारी ने झारखंड में एक बार फिर आईएएस अधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एसीबी की कार्रवाई राज्य एजेंसियों की सक्रियता का संकेत है, लेकिन विपक्ष का मानना है कि जांच का दायरा सीमित है और राजनीतिक संरक्षण के आरोपों से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में क्या यह वक्त नहीं है कि राज्य की हर बड़ी वित्तीय नीति और प्रशासनिक निर्णय की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए?

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