झारखंड में पहली बार किसी पदस्थ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में भेजा गया जेल
रांची। झारखंड की नई उत्पाद नीति में कथित अनियमितताओं को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। जांच में सामने आया कि शराब वितरण प्रणाली में बदलाव के दौरान इन अधिकारियों की प्रमुख भूमिका थी, जिससे राज्य को करोड़ों का नुकसान हुआ।
राज्य को 38 करोड़ रुपये की चपत, प्लेसमेंट एजेंसियों को फायदा
ACB द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि दोनों अधिकारियों ने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए नियमों को दरकिनार कर प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन किया और उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाया। इससे राज्य सरकार को लगभग 38 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई। आरोप है कि इस प्रक्रिया में जालसाजी, आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी जैसे गंभीर अपराध किए गए।
गिरफ्तारी से पहले हुई लंबी पूछताछ
20 मई को ACB ने दोनों अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद पुख्ता साक्ष्य मिलने पर प्राथमिकी संख्या 09/2025 दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार किया गया। मेडिकल जांच के उपरांत उन्हें विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार सिंह की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अब उनकी अगली पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होगी।
IAS विनय कुमार चौबे: एक नजर प्रोफाइल पर
- 1999 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव रह चुके
- राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी
- उपायुक्त (हजारीबाग, पलामू, रांची), नगर विकास सचिव, और झारखंड आवास बोर्ड के एमडी
- वर्तमान में पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव
बिहार के औरंगाबाद से ताल्लुक रखने वाले चौबे की प्रारंभिक शिक्षा बोकारो में हुई। उनके पिता बोकारो इस्पात संयंत्र में वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं।
शराब घोटाले की परतें खुलने लगीं
राज्य सरकार की अनुमति के बाद ACB ने प्रारंभिक जांच शुरू की थी। जांच में सामने आया कि झारखंड स्टेट बेवरेजेस कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) द्वारा प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन बिना निर्धारित प्रक्रिया के किया गया था। इसका लाभ शराब सिंडिकेट को हुआ और इससे राज्य को बड़े पैमाने पर नुकसान झेलना पड़ा।
सुपरवाइजरी एजेंसियों और अन्य आरोपी
प्राथमिकी में जिन अन्य नामों का उल्लेख है, वे छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले से भी जुड़े बताए जा रहे हैं। इनमें अनिल टूटेजा (संयुक्त सचिव, छत्तीसगढ़), अरुणपति त्रिपाठी (CSMCL के एमडी), बिचौलिया सिद्धार्थ सिंघानिया, एजेंसियां जैसे सुमित फैसलिटीज, ईगल हंटर, ए टू जेड इंफ्रा, और प्रिज्म होलोग्राफी एंड सिक्योरिटी प्रा. लि. शामिल हैं।
कोर्ट परिसर में सख्त सुरक्षा, अधिकारियों की खामोशी
गिरफ्तारी के बाद दोनों को सिविल कोर्ट में पेश किया गया, जहां करीब दो घंटे की प्रक्रिया के बाद उन्हें बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया। कोर्ट परिसर में भारी सुरक्षा तैनात रही। पेशी के दौरान विनय कुमार चौबे तनाव में नजर आए, जबकि गजेंद्र सिंह अपेक्षाकृत शांत दिखे।
झारखंड में पहली बार ऐसी कार्रवाई
राज्य के गठन के बाद यह पहली बार है जब किसी पदस्थ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को राज्य की एजेंसी ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा है। यह कार्रवाई न केवल प्रशासनिक तंत्र में जवाबदेही का संकेत देती है, बल्कि राज्य सरकार के भीतर पारदर्शिता की दिशा में भी अहम कदम मानी जा रही है।