जल संकट से जूझ रहे शहरी इलाकों को मिलेगी राहत, अमृत 2.0 और विश्व बैंक की मदद से चलेगी योजना
झारखंड सरकार ने प्रदेश के 16 शहरी क्षेत्रों में जल संकट को दूर करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। राज्य के नगर विकास विभाग की ओर से प्रस्तावित इस जलापूर्ति योजना के अंतर्गत लगभग 2038 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। योजना का उद्देश्य है – शहरी आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना और सीवरेज ट्रीटमेंट की व्यवस्था को दुरुस्त करना।
किन शहरों में चलेगी योजना?
इस महत्वाकांक्षी योजना का संचालन झारखंड अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (JUIDCO) के माध्यम से किया जाएगा। जिन 16 नगर निकायों में यह योजना लागू की जा रही है, वे हैं:
- रामगढ़, सिमडेगा, बड़की-सरैया, जामताड़ा, महागामा, डोमचांच, रेहला-विश्रामपुर, धनवार, बंशीधर नगर, छतरपुर एवं हरिहरगंज, बरहवा, चास (फेज-2), गिरिडीह (फेज-2), कपाली, गुमला और लोहरदगा।
दो चरणों में कार्यान्वयन
- अमृत 2.0 योजना के तहत 13 नगर निकायों में जलापूर्ति कार्य किए जाएंगे। इनमें कई परियोजनाएं फिलहाल डीपीआर निर्माण, तकनीकी मूल्यांकन, या स्वीकृति पत्र जारी होने की प्रक्रिया में हैं।
- विश्व बैंक की सहायता से तीन शहरी क्षेत्रों – गुमला, कपाली और लोहरदगा – में जल आपूर्ति की परियोजनाएं क्रियान्वित होंगी। इन पर भी वित्तीय प्रक्रियाएं चल रही हैं।
प्रमुख परियोजनाओं की स्थिति और लागत
नगर निकाय | लागत (करोड़ में) | वर्तमान स्थिति |
रेहला-विश्रामपुर | 123.30 | तकनीकी मूल्यांकन |
बंशीधर नगर | 143.63 | तकनीकी मूल्यांकन |
छतरपुर एवं हरिहरगंज | 232.77 | तकनीकी मूल्यांकन |
धनवार | 72.52 | एलओए जारी |
बरहवा | 32.84 | डीपीआर निर्माण |
चास (फेज-2) | 76.99 | डीपीआर निर्माण |
गिरिडीह (फेज-2) | 55.91 | डीपीआर निर्माण |
जिन परियोजनाओं पर कार्य शुरू हो चुका है:
नगर | लागत (करोड़) | प्रगति (%) |
सिमडेगा | 106.42 | 35% |
रामगढ़ | 537.69 | 5% |
बड़की | 35.98 | 20% |
डोमचांच | 86.80 | 10% |
जामताड़ा | 112.35 | 0% |
महागामा | 79.50 | 0% |
विश्व बैंक द्वारा सहायताप्राप्त परियोजनाएं:
- गुमला (115.39 करोड़): योजना ड्राफ्ट तैयार, अनुमोदन का इंतजार।
- कपाली (72.20 करोड़): वित्तीय बोली की प्रक्रिया जारी।
- लोहरदगा (147.7 करोड़): वित्तीय बोली की प्रक्रिया जारी।
निष्कर्ष
झारखंड सरकार का यह कदम राज्य के शहरी क्षेत्रों को जल संकट से उबारने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। जलापूर्ति के साथ-साथ सीवरेज ट्रीटमेंट की सुविधा बेहतर होने से न सिर्फ जनजीवन में सुधार आएगा, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता की स्थिति भी सुदृढ़ होगी। योजनाओं का समयबद्ध और पारदर्शी क्रियान्वयन ही इसकी सफलता की कुंजी होगी।