झारखंड में नगर निकाय चुनावों को लेकर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है। राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंड हाईकोर्ट में जवाब देते हुए बताया कि निकाय चुनावों की प्रक्रिया को पूरा करने में अभी समय लगेगा। सरकार ने अदालत को सूचित किया कि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए आवश्यक ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है।
हाईकोर्ट का निर्देश
झारखंड हाईकोर्ट ने 4 जनवरी 2024 को सरकार को तीन सप्ताह के भीतर निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि चुनाव रोकना या समय पर न कराना लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत यह स्पष्ट है कि स्थानीय निकाय चुनाव समय पर कराना अनिवार्य है
अदालत की नाराजगी
हाईकोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया के नाम पर चुनाव में देरी पर नाराजगी जताई। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया चुनाव रोकने का आधार नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की खंडपीठ ने भी इस बात पर सहमति जताई है कि ट्रिपल टेस्ट को लेकर कोई सुनवाई लंबित नहीं है।
सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि मतदाता सूची की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चार महीने के भीतर चुनाव कराए जाएंगे। सरकार का दावा है कि आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल
हाईकोर्ट ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि नगर निगम और नगर निकाय का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी चुनाव नहीं कराए गए। वर्तमान में प्रशासक के माध्यम से निकाय संचालित हो रहे हैं, जो लोकतांत्रिक तंत्र के लिए उपयुक्त नहीं है। अदालत ने इसे संवैधानिक प्रावधानों की विफलता करार दिया।
निष्कर्ष
झारखंड में निकाय चुनावों को लेकर सरकार और अदालत के बीच टकराव जारी है। अदालत ने साफ किया है कि समय पर चुनाव कराना संवैधानिक व्यवस्था का हिस्सा है। अब देखना यह होगा कि सरकार कब तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करती है और राज्य में लोकतांत्रिक तंत्र को मजबूती प्रदान करती है।