रांची। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए राज्य के हजारों अधिवक्ताओं को सीधी आर्थिक सहायता देने की योजना शुरू की है। यह फैसला न केवल कानूनी समुदाय के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि देशभर के लिए एक उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वकीलों के लिए कई नई योजनाओं का शुभारंभ करते हुए कहा, “हमारी सरकार समाज के हर वर्ग की चिंता करती है। वकील न्याय की रीढ़ होते हैं और उन्हें सहयोग देना हमारा कर्तव्य है।” उन्होंने इसे अधिवक्ताओं के सम्मान और सुरक्षा की दिशा में “ऐतिहासिक निर्णय” बताया।

योजना की प्रमुख बातें:

1. नव वकीलों को ₹5,000 मासिक वजीफा:

अब झारखंड में कानून की पढ़ाई पूरी कर चुके और बार काउंसिल में पंजीकृत नए वकीलों को पांच वर्षों तक ₹5,000 प्रतिमाह की आर्थिक सहायता मिलेगी। इसका उद्देश्य युवा वकीलों को आत्मनिर्भर बनाना है।

2. वरिष्ठ अधिवक्ताओं की पेंशन दोगुनी:

65 वर्ष या उससे अधिक आयु के वकीलों की मासिक पेंशन को ₹7,000 से बढ़ाकर ₹14,000 कर दिया गया है। इससे लगभग 8,000 वरिष्ठ अधिवक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा।

3. स्वास्थ्य बीमा की बड़ी सौगात:

राज्य सरकार ने सभी अधिवक्ताओं और उनके परिवार के लिए ₹5 लाख तक का मेडिकल बीमा लागू किया है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी आर्थिक बोझ कम होगा।

4. वकील कल्याण कोष को 1.5 करोड़ रुपये का अनुदान:

झारखंड एडवोकेट वेलफेयर फंड ट्रस्टी कमेटी को ₹1.5 करोड़ की वित्तीय सहायता दी गई है ताकि आपातकालीन स्थितियों में वकीलों की मदद की जा सके।

5. अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के वकीलों के लिए विशेष पैकेज:

राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि वंचित समुदायों से आने वाले अधिवक्ताओं को अतिरिक्त सहायता दी जाएगी, जिससे न्याय के क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ सके।

वकील समाज में खुशी की लहर

झारखंड बार काउंसिल, राज्य के एडवोकेट जनरल और सैकड़ों अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए कहा कि यह निर्णय वकीलों की दशकों पुरानी मांगों को पूरा करता है।

झारखंड इस तरह का वजीफा और डबल पेंशन देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इस फैसले से न केवल कानूनी पेशे को मजबूती मिलेगी, बल्कि गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले युवाओं को भी न्याय के क्षेत्र में करियर बनाने का प्रोत्साहन मिलेगा।

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