छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है, जहां छत्तीसगढ़ सशस्त्र पुलिस (CAF) के एक जवान ने मामूली विवाद के बाद अपने ही साथियों पर गोलियां चला दीं। इस दर्दनाक घटना में दो जवानों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना सामरी थाना इलाके के भुताही कैंप की है, जहां आरोपी सिपाही ने इस घटना को अंजाम दिया।

घटना का विवरण

घटना 11वीं बटालियन में तैनात सिपाही अजय सिदार द्वारा सुबह 11:30 बजे अंजाम दी गई। बताया जा रहा है कि कैंप में जवान खाना खा रहे थे, तभी अजय ने अपने साथी सिपाही रूपेश पटेल से मिर्च मांगी। रूपेश के मना करने पर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। इस दौरान वहां मौजूद गार्ड कमांडर अंबुज शुक्ला ने विवाद को शांत कराने का प्रयास किया और रूपेश का पक्ष लिया। इससे अजय सिदार और अधिक गुस्से में आ गया और उसने अपना आपा खो दिया।

राइफल से अंधाधुंध फायरिंग

गुस्से में बेकाबू अजय ने खाना बीच में छोड़कर अपनी इंसास राइफल उठाई और रूपेश पटेल पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, जिसमें रूपेश की मौके पर ही मौत हो गई। फायरिंग के दौरान गार्ड कमांडर अंबुज शुक्ला के पैरों में गोलियां लगीं। इसके बाद, अन्य जवानों ने भागकर अजय को काबू किया और उसकी राइफल छीन ली। घायल जवानों को तुरंत कुसमी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से उनकी हालत गंभीर देखते हुए उन्हें अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।

मृतकों और घायलों के नाम

घटना में मौके पर ही दो जवानों की मौत हो गई, जिनमें से एक रूपेश पटेल थे, जबकि दूसरे मृतक जवान संदीप पांडेय की मौत सदमे से हुई, क्योंकि उनके शरीर पर गोली लगने के निशान नहीं मिले। घायलों में गार्ड कमांडर अंबुज शुक्ला और अन्य जवान गंभीर हालत में हैं और उनका इलाज चल रहा है।

विवाद का कारण और जांच

घटना के पीछे मिर्च मांगने पर हुआ विवाद बताया जा रहा है। जब रूपेश ने मिर्च देने से मना कर दिया, तो अजय और रूपेश के बीच कहा-सुनी हो गई, जो बाद में गोलीबारी में बदल गई। पुलिस और संबंधित विभाग इस घटना की जांच में जुटे हैं। आरोपी अजय सिदार को घटना के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है और उससे पूछताछ जारी है।

सुरक्षा बलों में तनाव का माहौल

इस घटना ने सुरक्षा बलों के भीतर बढ़ते तनाव और अनुशासन की कमी को उजागर किया है। नक्सल विरोधी बलों के लिए यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि छोटे-छोटे विवाद भी घातक रूप ले सकते हैं। सुरक्षा बलों में मनोवैज्ञानिक समर्थन और बेहतर तनाव प्रबंधन की जरूरत है ताकि जवान ऐसे हालात में आपा न खोएं।

निष्कर्ष

बलरामपुर की यह घटना सुरक्षा बलों के भीतर अनुशासनहीनता और भावनात्मक अस्थिरता की ओर इशारा करती है। मिर्च जैसी मामूली बात पर जवान का साथी जवानों पर गोली चलाना चिंताजनक है। यह घटना सुरक्षा बलों के भीतर मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन की आवश्यकताओं को पुनः प्राथमिकता देने की जरूरत को दर्शाती है। अब देखना होगा कि इस घटना से क्या सबक लिया जाता है और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version