रांची

झारखंड में इस बार 10वीं की परीक्षा के परिणामों ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य के कई सरकारी स्कूलों में छात्र न केवल बड़ी संख्या में फेल हुए हैं, बल्कि कुछ स्कूलों में तो परिणाम शून्य प्रतिशत रहा — यानी सभी छात्र परीक्षा में असफल हो गए। इस चिंताजनक स्थिति को देखते हुए शिक्षा विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए 61 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों व प्रभारी प्रधानाध्यापकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

क्या है मामला?

राज्य की मैट्रिक परीक्षा में जिन स्कूलों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, उनमें से सात स्कूल ऐसे हैं जहाँ कोई भी छात्र पास नहीं हो सका। इसके अतिरिक्त 54 स्कूलों में 50 प्रतिशत से भी कम परिणाम दर्ज किया गया है। शिक्षा विभाग के अनुसार, यह स्थिति तब है जब सभी स्कूलों में शिक्षक कार्यरत हैं और छात्र संख्या भी औसत है। ऐसे में इन नतीजों को शिक्षकों की लापरवाही और शैक्षणिक गुणवत्ता की गिरावट से जोड़ा जा रहा है।

स्थानांतरण और अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश

शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने इस संबंध में राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को अन्य विद्यालयों में स्थानांतरित किया जाए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक प्रक्रिया चलाई जाए। इसके साथ ही, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

इन जिलों में खराब रहा रिजल्ट

जिन जिलों के स्कूलों का प्रदर्शन कमजोर रहा है, उनमें प्रमुख रूप से पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, रांची, सिमडेगा, देवघर, गिरिडीह, गढ़वा, लातेहार, गोड्डा, कोडरमा, रामगढ़ और सरायकेला शामिल हैं। इनमें से कुछ स्कूलों में आधे से ज्यादा विद्यार्थी सिर्फ तृतीय श्रेणी में ही पास हुए हैं।

निर्देश: 19 जून तक पूरी हो जांच प्रक्रिया

शिक्षा विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि 19 जून तक इन 61 स्कूलों की स्थलीय जांच पूरी की जाए और रिपोर्ट ई-विद्यावाहिनी पोर्टल पर अपलोड की जाए। संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश हैं कि छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की तैनाती का भी विश्लेषण किया जाए।

एक छात्र, आठ शिक्षक और फिर भी तृतीय श्रेणी

इस मामले में गिरिडीह के एक स्कूल की स्थिति तो और भी चौंकाने वाली है। यहाँ एकमात्र छात्र ने परीक्षा दी और वह भी तृतीय श्रेणी में पास हुआ, जबकि इस विद्यालय में आठ शिक्षक कार्यरत हैं। यह आंकड़े सरकारी शिक्षा व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर सीधा सवाल उठाते हैं।

अंतिम चेतावनी और सुधार के निर्देश

शिक्षा सचिव ने सभी संबंधित अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि इस स्तर की शैक्षणिक गिरावट को लेकर संबंधित शिक्षकों को अंतिम चेतावनी दी जाए और परीक्षा परिणामों में सुधार के लिए ठोस योजना तैयार की जाए।

निष्कर्ष

झारखंड में शिक्षा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि सिर्फ शिक्षकों की तैनाती से शिक्षा की गुणवत्ता नहीं सुधर सकती, जब तक उन पर जवाबदेही सुनिश्चित न की जाए। यह कार्रवाई इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा सकती है, बशर्ते इसकी निगरानी और निष्पादन पूरी पारदर्शिता के साथ हो।

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