रांची
झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को अगर एक तस्वीर में दिखाना हो, तो रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) की पुरानी इमारतें उसके लिए सबसे भयावह उदाहरण होंगी। जहां मरीज इलाज के लिए नहीं, बल्कि हादसे का शिकार होने के लिए जैसे मजबूर हैं। दीवारों में दरारें, छतों से झड़ता प्लास्टर, टपकता पानी और हर कदम पर मौत का खतरा—क्या यही है झारखंड की स्वास्थ्य सेवा का चेहरा?
और सबसे बड़ा सवाल—स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी आखिर कहां हैं? क्या उनका काम सिर्फ उद्घाटन करना और कैमरों के सामने बयान देना रह गया है?
एमजीएम हादसे से कुछ नहीं सीखा सरकार ने?
चंद दिन पहले ही जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में छत गिरने से तीन लोगों की मौत हुई थी। राज्य भर में हड़कंप मच गया था। लेकिन ठीक उसी वक्त जब मीडिया एमजीएम को लेकर सवाल पूछ रहा था, RIMS की इमारतों में भी मौत मंडरा रही थी। रविवार को जब “The Mediawala Express” ने रिम्स का निरीक्षण किया, तो हालत दिल दहला देने वाले थे।
अब क्या स्वास्थ्य मंत्री तब जागेंगे जब RIMS में भी कोई छत गिरने से लाशें उठेंगी?
RIMS की हालत: मौत को न्योता देते हालात
- ऑर्थो वार्ड में हमेशा टपकता है पानी।
- ग्राउंड फ्लोर पर सिपेज इतना गंभीर कि फर्श तक फिसलन भरा।
- छज्जे हर दिन झड़ते हैं, और उनके नीचे मरीजों के परिजन कपड़े सुखाते हैं।
- ब्लड बैंक के बाहर छज्जा कभी भी गिर सकता है—हर मिनट वहां 50 से ज्यादा लोगों की आवाजाही।
- जर्जर सीढ़ियों से हर हफ्ते कोई न कोई गिरकर चोटिल होता है।
क्या RIMS में कोई भवन निरीक्षण नहीं होता? क्या स्वास्थ्य मंत्री को इन सबकी जानकारी नहीं है? अगर है, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?
कैमरा ऑन तो मंत्री ऑन, कैमरा ऑफ तो सिस्टम ऑफ!
स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में “बेहतर स्वास्थ्य सुविधा”, “RIMS को मॉडल अस्पताल बनाने” जैसे भारी-भरकम वादे करते हैं। लेकिन RIMS की जमीनी सच्चाई इन वादों को झूठा साबित करती है। अस्पताल में ऐसे हालात में इलाज कराना किसी खतरे से कम नहीं।
क्या RIMS में मौत का इंतजार कर रही है सरकार?
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल की हालत ऐसी है, तो बाकी जिलों में क्या हाल होगा—सोचने भर से रूह कांप जाती है।
अगर स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी अब भी चुप हैं, तो ये चुप्पी सिर्फ नाकामी नहीं, लापरवाही और संवेदनहीनता भी है।