नई दिल्ली/रांची।

झारखंड की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर राज्य से जुड़े कई अहम मुद्दे उठाए। उन्होंने विशेष रूप से मनरेगा के तहत मजदूरी दरों में बढ़ोतरी और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत मिलने वाली आर्थिक सहायता को बढ़ाने की पुरजोर मांग की।

मनरेगा मजदूरी में समानता की मांग

दीपिका पांडेय सिंह ने बताया कि झारखंड में वर्तमान में मनरेगा के तहत मजदूरी दर मात्र ₹255 प्रतिदिन है, जो कि राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। उन्होंने मांग की कि इसे बढ़ाकर न्यूनतम ₹405 प्रतिदिन किया जाए ताकि श्रमिकों को उनकी मेहनत का वाजिब पारिश्रमिक मिल सके और राज्य में गरीबी उन्मूलन के प्रयासों को मजबूती मिले।

प्रधानमंत्री आवास योजना में 2 लाख रुपये की इकाई लागत की मांग

राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की वर्तमान इकाई लागत ₹1.20 लाख को अपर्याप्त बताते हुए इसे बढ़ाकर ₹2 लाख करने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार की ‘अबुआ आवास योजना’ के अंतर्गत लाभार्थियों को ₹2 लाख तक की सहायता मिलती है। ऐसे में केंद्र प्रायोजित योजना में भी समान आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत और गरिमामयी आवास निर्माण संभव हो सके।

लंबित भुगतान और प्रशासनिक संकट पर चिंता

मंत्री ने यह भी कहा कि मनरेगा के तहत सामग्री मद में ₹747 करोड़ और मजदूरी मद में ₹150 करोड़ से अधिक की राशि केंद्र सरकार के पास लंबित है। इन भुगतानों की प्रक्रिया तेज करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के कई कार्यों से संबंधित फंड ट्रांसफर ऑर्डर (FTO) पहले ही पोर्टल पर अपलोड किए जा चुके हैं, इसके बावजूद भुगतान अटका हुआ है।

मनरेगा कर्मियों का वेतन तीन माह से लंबित

उन्होंने बताया कि मनरेगा की प्रशासनिक मद से जुड़ी राशि तीन महीनों से राज्य को प्राप्त नहीं हुई है, जिसके कारण लगभग 5400 मनरेगा कर्मियों का वेतन रुका हुआ है। इसके साथ ही, 25,000 अतिरिक्त राजमिस्त्रियों के प्रशिक्षण की स्वीकृत राशि और CFT के अंतर्गत काम कर रहे श्रमिकों का ₹2.86 करोड़ मानदेय भी लम्बित है।

झारखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर

दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि ये सभी मुद्दे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और योजनाओं की प्रभावशीलता से सीधे जुड़े हैं। यदि समय रहते भुगतान और दरों की समीक्षा नहीं हुई, तो विकास योजनाओं की गति प्रभावित हो सकती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार जल्द निर्णय लेकर राज्य के हितों को प्राथमिकता देगी।

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