झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए JSSC चेयरमैन से पूछा है कि आखिर नियुक्तियां कब तक पूरी की जाएंगी।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि आयोग नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर एक ठोस डेडलाइन तय करे और अदालत को उसकी जानकारी दे।
जीन द्रेज की जनहित याचिका बनी आधार
यह आदेश अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता जीन द्रेज द्वारा दायर जनहित याचिका पर आया है। बेल्जियम में जन्मे और भारत में शिक्षा व सामाजिक न्याय के लिए सक्रिय द्रेज ने अपनी याचिका में दावा किया है कि झारखंड के 30% सरकारी स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक है।
द्रेज ने UDISE (Unified District Information System for Education) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड शिक्षकों की उपलब्धता के मामले में देश के सबसे खराब राज्यों में गिना जाता है।
“झारखंड में लाखों छात्र ऐसे स्कूलों में पढ़ रहे हैं जहां केवल एक शिक्षक हैं। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उम्मीद करना बेमानी है।”
– याचिकाकर्ता की ओर से दलील
JSSC पर सीधा सवाल: कब भरोगे पद?
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और JSSC की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यदि शिक्षा को लेकर राज्य गंभीर है, तो नियुक्ति प्रक्रिया में इस तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जा सकती। अदालत ने JSSC से कहा है कि वह एक तय समयसीमा के भीतर शिक्षक बहाली प्रक्रिया पूरी करने की योजना प्रस्तुत करे।
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निष्कर्ष:
झारखंड की शिक्षा व्यवस्था में शिक्षकों की कमी एक गंभीर संकट बन चुकी है। हाईकोर्ट का यह हस्तक्षेप उन लाखों विद्यार्थियों और प्रतियोगी छात्रों के लिए उम्मीद की किरण है जो शिक्षा के बेहतर अधिकार और रोजगार की राह देख रहे हैं। आने वाले दिनों में JSSC को कोर्ट के आदेश पर क्या जवाब देता है, इस पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।
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