झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शुमार जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में शनिवार को ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने न सिर्फ व्यवस्था पर सवाल खड़े किए, बल्कि अस्पतालों की जर्जर होती हालत को भी उजागर कर दिया। मेडिसिन वार्ड की छत ढहने से तीन मरीजों की जान चली गई, जबकि दो अन्य घायल हो गए। हादसे के बाद एनडीआरएफ, फायर ब्रिगेड और जिला प्रशासन की टीमें राहत कार्य में जुट गईं।

हादसे की भयावह तस्वीर: चार मंजिला इमारत की छत दरकी, मरीज मलबे में दबे

यह हादसा जमशेदपुर के साकची क्षेत्र स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (MGM) अस्पताल में शनिवार को दोपहर के करीब हुआ। अस्पताल के मेडिसिन वार्ड की ऊपरी मंजिल की छत अचानक भरभराकर गिर पड़ी। छत का मलबा नीचे के तीन मंजिलों को तोड़ते हुए सीधे दूसरे तल तक पहुंचा, जहां मरीज भर्ती थे।

जानकारी के मुताबिक, छत गिरने के समय वार्ड में 10 मरीज मौजूद थे। मलबे में दबने से तीन मरीजों की मौत हो गई, जिनमें से दो की पहचान लुकास साइमन तिर्की (60 वर्ष) और डेविड जॉनसन के रूप में हुई है। दोनों मरीज लकवाग्रस्त थे और चलने-फिरने में असमर्थ थे। तीसरे लापता मरीज श्रीचांद का शव देर रात मलबे से बरामद हुआ।

राहत व बचाव: कर्मचारियों और मजदूरों की मदद से चला रेस्क्यू ऑपरेशन

घटना के तुरंत बाद अस्पताल के कर्मचारी और उसी भवन के पास काम कर रहे निर्माण मजदूरों ने तत्काल मलबे में दबे मरीजों को निकालने का काम शुरू किया। कुछ ही देर में जिला प्रशासन, दमकल और एनडीआरएफ की टीमें भी मौके पर पहुंचीं। देर रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा।

एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ आरके मंधान ने कहा कि हादसे के वक्त वार्ड में 10 मरीज थे। सूचना मिलते ही मेडिकल टीम राहत कार्य में जुट गई और उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया।

राजनीतिक प्रतिक्रिया: स्वास्थ्य मंत्री पहुंचे अस्पताल, मुआवजे का ऐलान

घटना की गंभीरता को देखते हुए झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी देर रात अस्पताल पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की। मंत्री ने स्पष्ट कहा कि इस हादसे में जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

मुख्यमंत्री ने जताया दुख, दिए जांच के निर्देश

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जर्जर भवन के हिस्से के गिरने से हुई यह घटना चिंता का विषय है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री की अगुवाई में जांच कर उचित कार्ययोजना बनाने का निर्देश भी दिया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

प्रशासन की निगरानी: उपायुक्त और एसडीओ ने संभाला मोर्चा

हादसे की सूचना मिलते ही पूर्वी सिंहभूम जिले के उपायुक्त, एसडीओ और अन्य आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने पूरे घटनास्थल का निरीक्षण किया और राहत कार्यों की निगरानी की।

निष्कर्ष:

एमजीएम जैसे बड़े सरकारी अस्पताल में इस तरह की लापरवाही न केवल स्वास्थ्य सेवा की पोल खोलती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि वर्षों से बगैर मेंटेनेंस के चल रही इमारतें मौत को दावत दे रही हैं। सवाल यह है कि क्या अब भी प्रशासन सबक लेगा या फिर किसी अगली बड़ी घटना का इंतजार करेगा?

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