रांची

राज्य में सहारा इंडिया में निवेश करने वाले लाखों निवेशकों की उम्मीदों को नई संजीवनी मिलती दिख रही है। सोमवार को विश्व भारती जनसेवा संस्थान का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके आवासीय कार्यालय में मिला और सहारा इंडिया के निवेशकों की राशि वापसी से जुड़े अहम मुद्दों पर सरकार से हस्तक्षेप की मांग की।

प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख मांगें:

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से तीन मुख्य मांगें रखीं:

  1. सहारा इंडिया निवेशकों की राशि की वापसी सुनिश्चित कराने हेतु राज्य सरकार द्वारा हस्तक्षेप किया जाए।
  2. एक स्वतंत्र जांच आयोग का गठन कर सहारा इंडिया से जुड़ी निवेश प्रक्रिया, भुगतान में देरी और निवेशकों की शिकायतों की गहराई से जांच कराई जाए।
  3. राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में Intervention Petition (हस्तक्षेप याचिका) दायर की जाए, ताकि न्यायिक प्रक्रिया में राज्य के निवेशकों की ओर से प्रभावी पक्ष रखा जा सके।

मुख्यमंत्री ने दिया विधिसम्मत कार्रवाई का आश्वासन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुनते हुए आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इस मामले में विधिसम्मत और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाएगी। उन्होंने कहा कि लाखों निवेशकों की मेहनत की कमाई से जुड़ा यह मामला अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसमें न्यायसंगत कार्रवाई की आवश्यकता है।

प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन थे शामिल?

इस प्रतिनिधिमंडल में संस्थान के राष्ट्रीय सचिव नागेंद्र कुमार कुशवाहा, संयुक्त सचिव अशोक कुमार राम, उप सचिव प्रवीण कुमार श्रीवास्तव और सामाजिक कार्यकर्ता रेजिना सुचिता कच्छप शामिल थीं। सभी सदस्यों ने सहारा घोटाले के कारण आम जनमानस में फैली चिंता और आर्थिक असुरक्षा की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया।

पृष्ठभूमि: सहारा इंडिया विवाद

सहारा इंडिया का यह मामला वर्षों से न्यायालय में लंबित है और निवेशकों को उनकी मूलधन राशि तक वापस नहीं मिल सकी है। लाखों लोगों ने छोटी-बड़ी राशियों में निवेश किया था, जिनमें झारखंड के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में शामिल हैं। निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए अब सामाजिक संगठन और जनसेवी संस्थान लगातार सरकार और न्यायालय का ध्यान इस ओर खींचने में जुटे हैं।

आगे की राह

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि राज्य सरकार किस प्रकार न्यायालय में याचिका दायर करती है और क्या केंद्र व सेबी के समन्वय से निवेशकों के पैसे की वापसी का कोई ठोस रास्ता निकाला जाता है। विश्व भारती जनसेवा संस्थान ने स्पष्ट किया है कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो वे जन आंदोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं।

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