जमशेदपुर

झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना में गड़बड़ी का एक और बड़ा मामला सामने आया है। प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि कई लाभार्थियों के नाम एक ही बैंक खाते से जुड़े हुए हैं। योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक लाभार्थी को एक बैंक खाते के माध्यम से ही सहायता राशि मिलनी चाहिए, लेकिन यहां कई नाम एक ही खाता नंबर से जुड़ कर सरकारी लाभ ले रहे थे।

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जमशेदपुर के उपायुक्त अनन्य मित्तल ने जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने जिले के सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों (BDO) और अंचलाधिकारियों (CO) को आदेश दिया है कि वे अपने क्षेत्र में लाभार्थियों की सूची की गहन छानबीन करें और तीन कार्य दिवसों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट जिला मुख्यालय को सौंपें।

कहां कितनी गड़बड़ी?

जिले में ऐसे 2912 बैंक खाते चिन्हित किए गए हैं, जिनसे दो या दो से अधिक नामों पर योजना की राशि प्राप्त की गई है। इससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि किसी संगठित तरीके से फर्जीवाड़ा कर सरकारी योजना का लाभ गलत तरीके से उठाया गया है।

प्रखंडवार संदिग्ध खातों की संख्या:

प्रखंड/अंचलखाते
पोटका573
जमशेदपुर अंचल390
गोलमुरी-सह-जुगसलाई388
मानगो अंचल300
घाटशिला271
बोड़ाम191
चाकुलिया प्रखंड164
गुड़ाबांदा122
पटमदा113
डुमरिया111
बहरागोड़ा99
मुसाबनी97
धालभूमगढ़81
चाकुलिया अंचल10

दोषियों से होगी वसूली, कर्मचारियों पर भी गिरेगी गाज

उपायुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि जांच में कोई लाभार्थी अपात्र पाया जाता है या किसी ने एक से अधिक नाम से योजना का लाभ लिया है, तो न केवल नाम लिस्ट से हटाए जाएंगे, बल्कि राशि की वसूली भी की जाएगी। इसके साथ ही यदि इस गड़बड़ी में किसी अधिकारी या कर्मचारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई तय है।

योजना का उद्देश्य और साख पर संकट

मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का उद्देश्य प्रदेश की जरूरतमंद एवं योग्य महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। लेकिन ऐसी अनियमितताओं से योजना की साख पर सवाल उठना स्वाभाविक है। प्रशासन का दावा है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर इस योजना को पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाएगा।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज

वहीं इस मामले पर राजनीतिक बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है। भाजपा प्रवक्ता राफिया नाज ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि हेमंत सरकार पहले वोट लेने के लिए गरीब बहनों-बेटियों को योजना का लाभ देती है, और चुनाव के बाद उन्हें अपात्र घोषित कर वसूली करती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी एक भी महिला से जबरन वसूली की गई, तो भाजपा सड़क से सदन तक विरोध करेगी।

राफिया ने सवाल उठाया कि जब ये महिलाएं अपात्र थीं, तो उन्हें सरकारी पोर्टल पर पंजीकृत क्यों किया गया और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के तहत राशि क्यों दी गई? उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया एक राजनीतिक छल थी, जिसे सरकार को चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया।

निष्कर्ष

झारखंड की सामाजिक योजनाओं की पारदर्शिता एक बार फिर सवालों के घेरे में है। मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की गड़बड़ियों ने न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि गरीब महिलाओं की उम्मीदों पर भी चोट की है। आगामी जांच से यह स्पष्ट होगा कि इसमें कौन-कौन जिम्मेदार हैं और सरकार दोषियों पर कितनी कठोर कार्रवाई करती है।

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