रांची, झारखंड
शनिवार रात रांची के बेड़ो थाना क्षेत्र में उस वक्त तनाव गहरा गया जब करीब 250 ग्रामीणों की भीड़ ने अचानक थाने पर धावा बोल दिया। इस हमले में थाने में तैनात पुलिसकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की की गई, वहीं थाना प्रभारी देवप्रताप प्रधान घायल हो गए। घटना के बाद पुलिस को हालात नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा।
विवाद की जड़: जेसीबी से अतिक्रमण हटाने की कोशिश
घटना की शुरुआत शनिवार शाम महादानी मैदान के पास स्थित एक सरना स्थल पर हुई, जहां कथित रूप से एक पक्ष ने अतिक्रमण हटाने और सफाई के उद्देश्य से जेसीबी मंगाई थी। बताया जा रहा है कि इस कार्य के लिए प्रशासनिक अनुमति नहीं ली गई थी। सूचना मिलने पर बेड़ो थाने की पुलिस और अंचलाधिकारी (सीओ) मौके पर पहुंचे और जेसीबी का काम रुकवाया।
सीओ ने आश्वासन दिया कि 24 घंटे के भीतर अतिक्रमण हटवाया जाएगा, जिसके बाद भीड़ मौके से शांतिपूर्वक लौट गई। लेकिन स्थिति ने तब तूल पकड़ा जब रात करीब साढ़े आठ बजे बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने थाने का घेराव किया और पुलिस पर दिन में जेसीबी चालक के साथ मारपीट करने का आरोप लगाते हुए हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया।
थाने में तोड़फोड़ और हमले की घटना
गुस्साई भीड़ ने थाने में रखे गमले, कुर्सियां और कुछ वाहनों को नुकसान पहुंचाया। साथ ही पुलिसकर्मियों से धक्का-मुक्की भी की गई। इसी दौरान थाना प्रभारी देवप्रताप प्रधान को चोटें आईं। पुलिस ने हालात को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा शांत नहीं हुआ।
अतिरिक्त बल बुलाकर स्थिति पर काबू
हालात को बिगड़ता देख प्रशासन ने आसपास के थानों से पुलिस बल मंगवाया। डीएसपी अशोक कुमार राम समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझा-बुझाकर शांत कराया। अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद भीड़ रात करीब साढ़े नौ बजे के बाद थाना परिसर से वापस लौटी।
कार्रवाई की तैयारी
डीएसपी ने घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि पूरे मामले की सूचना वरीय अधिकारियों को भेज दी गई है। हिंसा और सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में अज्ञात ग्रामीणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
प्रशासन की अपील
अधिकारियों ने ग्रामीणों से अपील की है कि किसी भी तरह की शिकायत या विवाद को बातचीत और कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से सुलझाया जाए। कानून हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है, बल्कि थानों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता से कार्रवाई करता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।