रांची

झारखंड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के अंतर्गत गरीबों को मिलने वाला राशन संकट में पड़ सकता है। राज्य के 25 हजार से ज्यादा फेयर प्राइस शॉप डीलर्स ने सरकार के रवैये से नाराज होकर राशन वितरण रोकने का संकेत दिया है। डीलरों का कहना है कि लगातार उपेक्षा और लंबित बकाया भुगतान के चलते वे हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं।

डीलर्स संघ का आरोप है कि दिसंबर 2024 से लेकर अब तक का कमीशन भुगतान नहीं हुआ है। इसके अलावा पूर्व के तीन से चार महीने का कमीशन भी लंबित है। कुल मिलाकर राज्य सरकार पर लगभग एक वर्ष की राशि—करीब 20 करोड़ रुपये—का भुगतान बकाया है। डीलर्स को प्रत्येक क्विंटल राशन पर 150 रुपये कमीशन मिलना तय है, लेकिन राशि न मिलने से डीलरों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई है।

सरकार पर डीलरों का क्या आरोप है?

डीलरों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है। विभागीय मंत्री और अधिकारियों को कई बार ज्ञापन देने के बावजूद समाधान नहीं निकला। डीलरों का कहना है कि प्रशासनिक दबाव बनाकर उनसे बिना भुगतान के काम कराया जा रहा है, जो पूरी तरह अनुचित है।

कोरोना काल की भी नहीं मिली बकाया राशि

डीलर्स ने यह भी बताया कि कोरोना महामारी के समय उन्होंने सरकार के निर्देश पर वितरण कार्य किया, लेकिन उस दौरान का कमीशन अब तक नहीं दिया गया। इससे डीलरों में गहरी नाराजगी है।

तकनीकी दिक्कतें और अनदेखी

राज्य भर में टू-जी पॉश मशीनों की धीमी गति और सर्वर की खराबी के कारण लाभुकों को समय पर राशन नहीं मिल पा रहा है। डीलर्स का कहना है कि तकनीकी खामियों को दूर करने की दिशा में विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। इससे डीलरों के साथ-साथ आम लोगों को भी परेशानी हो रही है।

तालाबंदी की चेतावनी

फेयर प्राइस शॉप डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने संकेत दिया है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो डीलर सामूहिक रूप से दुकानें बंद कर सकते हैं। इससे राज्य में राशन वितरण पूरी तरह ठप हो सकता है।

प्रभावित होंगे लाखों लाभुक

राज्य में पीडीएस के तहत लाखों गरीब परिवारों को हर महीने राशन मिलता है। यदि डीलर हड़ताल पर चले गए, तो खाद्य सुरक्षा योजना के लाभुकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। यह स्थिति सरकार के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है।

निष्कर्ष:

झारखंड में पीडीएस डीलरों की नाराजगी अब खुलकर सामने आ चुकी है। अगर सरकार ने समय रहते समाधान नहीं निकाला, तो राज्य में खाद्य आपूर्ति की व्यवस्था चरमरा सकती है। इस मामले को लेकर आगे की स्थिति पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

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