जमशेदपुर के मानगो हाट इलाके में अतिक्रमण को लेकर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। यहां 68 दुकानदारों के खिलाफ झारखंड सार्वजनिक भूमि अतिक्रमण अधिनियम (JPLE Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस कार्रवाई की पहल स्थानीय बाजार समिति के पणन सचिव की अनुशंसा पर की गई, जिसे मानगो अंचलाधिकारी ने आगे बढ़ाया।

68 दुकानदारों को नोटिस, वैध कागजात दिखाने का आदेश

अधिकारियों के मुताबिक, सभी आरोपित दुकानदारों को जल्द ही नोटिस भेजा जाएगा और उन्हें अंचल कार्यालय में उपस्थित होकर अपनी भूमि पर स्वामित्व के प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे। जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं होंगे, उन्हें अतिक्रमणकर्ता घोषित कर उनके कब्जे वाली जमीन खाली कराने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

किसानों के प्लेटफॉर्म पर अवैध कब्जा, आवंटन से ज्यादा जगह पर दुकानें

अतिक्रमण की स्थिति दो श्रेणियों में बंटी है। पहली श्रेणी में वे 38 दुकानदार हैं जिन्होंने हाट में किसानों के लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म पर अवैध रूप से कब्जा जमाकर दुकानें खड़ी कर ली हैं। वहीं, दूसरी श्रेणी में 30 ऐसे दुकानदार शामिल हैं जिन्हें दुकान का आवंटन तो मिला था, लेकिन उन्होंने तय सीमा से अधिक भूमि पर कब्जा कर लिया है।

प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन दुकानदारों ने निर्धारित सीमा से अधिक जगह घेर रखी है, उन्हें अतिरिक्त जमीन खाली करनी होगी। यदि वे आदेश नहीं मानते, तो उनके खिलाफ पुलिस बल और कार्यपालक मजिस्ट्रेट की मदद से कब्जा हटाया जाएगा।

वैध दस्तावेजों की कमी बढ़ा रही मुश्किल

सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वर्तमान में मानगो हाट में वैध कागजात वाले मूल आवंटी सिर्फ दो-चार ही हैं। शेष दुकानदारों ने दुकानें किसी और से खरीद ली हैं, लेकिन उनके पास दस्तावेज नहीं हैं। यह स्थिति केस की सुनवाई के दौरान उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

1978 से अस्तित्व में है यह बाजार, किसानों के लिए बनी थी व्यवस्था

जानकारी के मुताबिक, यह हाट बाजार 1978 में लगभग 78 डिसमिल जमीन पर स्थापित हुआ था, जिसे राज्य की बाजार समिति को किसानों के लिए आवंटित किया गया था। इसका उद्देश्य था कि किसान यहां आकर अपने उत्पादों की बिक्री कर सकें। मगर धीरे-धीरे इस बाजार में व्यवस्थित अव्यवस्था ने जगह ले ली, और अब प्रशासन अतिक्रमण को हटाने की तैयारी में जुट गया है।

निष्कर्ष

यह मामला न केवल प्रशासनिक सख्ती का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वर्षों से चली आ रही अनियमितताओं को अब सुलझाने का समय आ गया है। आने वाले दिनों में प्रशासन की अगली कार्रवाई यह तय करेगी कि इस बाजार का भविष्य क्या होगा और कितने दुकानदार अपना अस्तित्व बचा पाएंगे।

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