हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लाखों बस और ट्रक ड्राइवरों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें उन्होंने 2017 के अपने फैसले को बरकरार रखा है। इस फैसले के अनुसार, लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) लाइसेंस धारकों को 7500 किलोग्राम तक के परिवहन वाहनों को चलाने की अनुमति दी गई है। संविधान पीठ ने इस मामले पर अगस्त में सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, और अब इसे सार्वजनिक कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय

यह फैसला मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनाया। इस निर्णय के अनुसार:

  1. एलएमवी लाइसेंसधारी 7500 किलोग्राम तक के वाहन चला सकेंगे: अब एलएमवी लाइसेंसधारी ड्राइवर 7500 किलोग्राम तक के वजन वाले परिवहन वाहनों, जैसे कि मध्यम और कुछ हद तक भारी ट्रांसपोर्ट वाहनों को भी चला सकते हैं।
  2. अलग से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं: इस निर्णय के अनुसार, 7500 किलोग्राम तक के वाहनों को चलाने के लिए परिवहन विभाग से अलग से अनुमति या अनुमोदन लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
  3. बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी: फैसले में यह भी स्पष्ट किया गया कि बीमा कंपनियां ऐसे मामलों में बीमा देने से इनकार नहीं कर सकती हैं। पहले, कई बार बीमा कंपनियाँ ऐसे मामलों में ड्राइवर का बीमा देने में हिचकिचाती थीं, जो अब संभव नहीं होगा।
  4. ड्राइवर का कौशल और यातायात नियमों का पालन: सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक ड्राइवर का कौशल और यातायात नियमों का पालन है। इस बात पर जोर दिया गया कि वाहन की क्षमता से अधिक, उसके संचालन में ड्राइवर की समझदारी और अनुशासन महत्वपूर्ण है।

इस फैसले का महत्व

यह फैसला उन लाखों बस-ट्रक ड्राइवरों और छोटे वाहनों के ड्राइवरों के लिए एक बड़ी राहत है, जिनके पास केवल एलएमवी लाइसेंस होता है। परिवहन क्षेत्र में काम कर रहे कई ड्राइवरों के पास भारी वाहन चलाने का अवसर नहीं था क्योंकि उनके पास केवल एलएमवी लाइसेंस था, और इसके कारण उन्हें अलग से लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती थी। इस निर्णय के बाद, वे मध्यम और 7500 किलोग्राम तक के ट्रांसपोर्ट वाहनों को आसानी से चला सकेंगे, जिससे उनकी आय और रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी।

परिवहन उद्योग पर प्रभाव

यह फैसला विशेष रूप से परिवहन उद्योग के लिए लाभकारी साबित होगा। कई छोटे व्यवसायों और ट्रांसपोर्ट कंपनियों को अब अधिक ड्राइवर मिल सकेंगे, जो ट्रक या अन्य मध्यम वाहनों को चला सकते हैं। यह निर्णय छोटे उद्यमियों के लिए भी फायदेमंद होगा, क्योंकि वे अधिक दक्षता के साथ अपने ट्रांसपोर्ट वाहनों का संचालन कर सकेंगे और उन्हें पर्याप्त ड्राइवर मिलने में कठिनाई नहीं होगी।

बीमा कंपनियों के लिए दिशा-निर्देश

फैसले में बीमा कंपनियों के लिए भी एक स्पष्ट दिशा-निर्देश दिया गया है। बीमा कंपनियों को अब एलएमवी लाइसेंसधारी ड्राइवरों का बीमा देने से इनकार नहीं करने का आदेश दिया गया है। बीमा कंपनियों द्वारा यह तर्क दिया जाता था कि इन ड्राइवरों के पास भारी वाहन चलाने का अधिकार नहीं है और इसलिए वे बीमा देने में हिचकिचाते थे। अब, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, बीमा कंपनियों के लिए यह बाध्यता है कि वे ऐसे ड्राइवरों का बीमा देने से मना नहीं कर सकतीं।

ड्राइवरों की ज़िम्मेदारी और कौशल

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सड़क सुरक्षा और दुर्घटनाओं की रोकथाम ड्राइवर के कौशल, समझदारी और यातायात नियमों के पालन पर निर्भर करती है। चाहे वाहन का वजन और आकार जो भी हो, ड्राइवर की भूमिका हमेशा अहम होती है। इस फैसले के बाद ड्राइवरों की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है, क्योंकि अब उनके पास 7500 किलोग्राम तक के भारी वाहनों को चलाने का अधिकार है और इसके साथ ही उन्हें अधिक सावधानी बरतनी होगी।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला परिवहन क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय है। इससे न केवल लाखों ड्राइवरों को राहत मिली है, बल्कि ट्रांसपोर्ट उद्योग को भी मजबूती मिली है। एलएमवी लाइसेंसधारी ड्राइवर अब अधिक रोजगार के अवसर पा सकेंगे और ट्रांसपोर्ट कंपनियों को भी कुशल ड्राइवर मिल सकेंगे। इस फैसले से ड्राइवरों को न केवल आर्थिक लाभ होगा बल्कि वे अपने कौशल का विस्तार भी कर सकेंगे।

इस निर्णय के बाद उम्मीद है कि सड़क सुरक्षा में सुधार होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ड्राइवरों को यातायात नियमों का पालन करने की याद दिलाई है। कुल मिलाकर, यह फैसला न केवल ड्राइवरों के लिए बल्कि परिवहन क्षेत्र के सभी हितधारकों के लिए एक सकारात्मक कदम है।

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