कोलकाता में घटित हुए रेप-मर्डर केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना ने न केवल कोलकाता बल्कि पूरे पश्चिम बंगाल में विरोध की आग भड़का दी है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लोगों का गुस्सा चरम पर है, और न्याय की मांग में यह आक्रोश सड़कों पर उतर आया है। आज यानी 9 सितंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है, और इसके पहले ही कोलकाता की सड़कों पर विरोध की लहर और भी प्रबल हो चुकी है।

इंसाफ की गूंज: जलती मशालों के साथ राष्ट्रगान

रविवार की देर रात तक कोलकाता की गलियों में इंसाफ की मांग गूंजती रही। हजारों लोग, जिनमें महिलाएं, युवा, और वृद्ध सभी शामिल थे, सड़कों पर उतरे। लोगों ने हाथों में मशालें थाम रखी थीं और तिरंगा लहरा रहे थे। इस विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने मानव श्रृंखला बनाई, जिसमें उन्होंने महिला को न्याय दिलाने के लिए अपनी एकजुटता दिखाई। जलती मशालों के साथ उन्होंने राष्ट्रगान गाया, और पूरे जोश के साथ अपनी आवाज बुलंद की।

हर कोने में गूंजा विरोध का स्वर

कोलकाता के हर कोने में विरोध प्रदर्शन हुआ। सिलीगुड़ी, दुर्गापुर, खड़गपुर, बालुरघाट, पुरुलिया, कूचबिहार और अन्य छोटे शहरों और बस्तियों में भी लोगों ने सड़कों पर उतरकर इस जघन्य अपराध के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। प्रदर्शनकारियों ने अपने मोबाइल फोन की फ्लैश लाइट जलाकर और मशालें लेकर विरोध दर्ज कराया। लोगों का यह गुस्सा न केवल अपराधियों के खिलाफ था, बल्कि उस सिस्टम के खिलाफ भी था, जिसने एक महिला को इस भयावह स्थिति तक पहुंचने दिया।

महिला प्रशिक्षु की मां की मांग: सभी दोषियों की गिरफ्तारी

इस विरोध के बीच, महिला प्रशिक्षु की मां ने सभी दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की। उनका कहना था कि उन्होंने अपनी एक बेटी खो दी है, लेकिन आज जो प्रदर्शनकारी उनके साथ खड़े हैं, वे सभी उनके बच्चे हैं। उनकी यह भावना पूरे समाज की पीड़ा को दर्शाती है, जो इस क्रूर घटना के बाद स्तब्ध है।

स्कूल के पूर्व छात्रों की न्याय यात्रा

दक्षिण कोलकाता में 40 से अधिक स्कूलों के लगभग 4,000 पूर्व छात्र भी न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। वे दो किलोमीटर की पैदल यात्रा कर उस स्थान तक पहुंचे, जहां यह घटना हुई थी। उनका यह प्रदर्शन एक प्रतीक था, जो यह संदेश दे रहा था कि वे इस मामले में किसी भी प्रकार की देरी या अन्याय को सहन नहीं करेंगे।

आज की सुनवाई पर टिकी निगाहें

आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है, और पूरे देश की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं। इस विरोध प्रदर्शन और जनता के आक्रोश के बीच, न्यायपालिका से लोगों को यह उम्मीद है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।

यह घटना न केवल कोलकाता, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है। समाज और न्यायपालिका की यह जिम्मेदारी है कि वे इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं और सुनिश्चित करें कि महिलाओं को सुरक्षित वातावरण मिले।

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