झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की सियासी जंग में कोल्हान क्षेत्र इस बार सबसे अधिक सुर्खियों में है। यह क्षेत्र चार पूर्व मुख्यमंत्रियों और उनके परिवारों की प्रतिष्ठा का गवाह बनेगा, जहां कई बड़े राजनीतिक दिग्गज अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कोल्हान की राजनीति इस बार बेहद दिलचस्प हो गई है, क्योंकि यहां कई हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, जिनमें से अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्री या उनके परिवार के सदस्य हैं।

चंपई सोरेन और बाबूलाल सोरेन

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से भाजपा में आए चंपई सोरेन इस बार सरायकेला विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। चंपई सोरेन ने झामुमो छोड़कर भाजपा का दामन थामा और अब वे अपने राजनीतिक भविष्य की एक बड़ी लड़ाई लड़ने जा रहे हैं। उनके बेटे बाबूलाल सोरेन भी भाजपा के टिकट पर घाटशिला से चुनाव मैदान में हैं। चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने से झामुमो को झटका लगा है, जबकि भाजपा को उम्मीद है कि इस कदम से आदिवासी मतदाताओं के बीच उनकी पकड़ मजबूत होगी।

गीता कोड़ा – पश्चिमी सिंहभूम की जगन्नाथपुर सीट पर चुनौती

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा पश्चिमी सिंहभूम की जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। गीता कोड़ा एक अनुभवी नेता हैं और अपने पति मधु कोड़ा की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। इस क्षेत्र में उनका प्रभावी जनाधार है, और उन्हें उम्मीद है कि वे इस बार भी इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत रखेंगी। गीता कोड़ा ने पिछले चुनावों में भी अपनी मजबूती दिखाई है और इस बार भी उनकी उम्मीदवारी से जगन्नाथपुर सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है।

मीरा मुंडा – पोटका से पहली बार चुनावी मैदान में

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पोटका विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। अर्जुन मुंडा के राजनीतिक कद और उनके प्रभावशाली रिकॉर्ड के बावजूद, मीरा मुंडा का चुनावी मैदान में उतरना भाजपा के लिए एक साहसिक कदम है। हालांकि, उनके नामांकन के बाद पार्टी के अंदर खींचतान भी शुरू हो गई है। पोटका से तीन बार विधायक रह चुकीं मेनका सरदार ने मीरा मुंडा को टिकट दिए जाने के बाद पार्टी से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया। इससे पोटका में मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।

मीरा मुंडा का यह पहला चुनाव है, लेकिन उनके पति अर्जुन मुंडा के अनुभव और राजनीतिक नेटवर्क से उन्हें काफी फायदा हो सकता है। मीरा मुंडा का कहना है कि वह क्षेत्र के विकास के लिए काम करेंगी और लोगों की समस्याओं को दूर करने का हर संभव प्रयास करेंगी। उनकी उम्मीदवारी से पोटका सीट पर भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा रही है, लेकिन मेनका सरदार के इस्तीफे ने पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

पूर्णिमा दास – जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास की बहू की दावेदारी

जमशेदपुर पूर्वी सीट से इस बार पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। इस सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय ने जीत हासिल की थी और रघुवर दास को हराया था। अब भाजपा ने रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास को उम्मीदवार बनाकर एक बार फिर इस सीट पर जीत दर्ज करने की कोशिश की है।

जमशेदपुर पूर्वी सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद डॉ. अजय कुमार भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। ऐसे में यह सीट भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर का गवाह बनेगी। पूर्णिमा दास का राजनीतिक अनुभव भले ही कम हो, लेकिन रघुवर दास के परिवार का नाम और उनकी लोकप्रियता से उन्हें फायदा हो सकता है।

कोल्हान का चुनावी समीकरण

कोल्हान क्षेत्र झारखंड की राजनीति में हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। यहां की सीटों पर आदिवासी मतदाताओं का दबदबा है, और इस बार भी आदिवासी वोट बैंक पर सभी दलों की नजरें टिकी हैं। झामुमो, भाजपा, कांग्रेस, और अन्य क्षेत्रीय दलों के बीच यहां कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी।

चंपई सोरेन और उनके बेटे बाबूलाल सोरेन, गीता कोड़ा, मीरा मुंडा, और पूर्णिमा दास जैसे प्रमुख उम्मीदवारों के चुनावी मैदान में उतरने से कोल्हान का मुकाबला बेहद रोमांचक हो गया है।

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