रांची
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अपने दो दिवसीय केंद्रीय महाधिवेशन के पहले दिन केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। पार्टी ने वक्फ संशोधन अधिनियम को संविधान के संघीय ढांचे पर सीधा हमला करार देते हुए इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों का खुला उल्लंघन बताया। झामुमो नेताओं ने साफ कहा कि भूमि राज्य का विषय है और केंद्र सरकार को वक्फ एक्ट में बदलाव से पहले झारखंड जैसे राज्यों से सलाह लेनी चाहिए थी, जो नहीं लिया गया।
पार्टी के राजनीतिक प्रस्ताव में इस संशोधन को धर्म और जाति के नाम पर भय और उन्माद फैलाने की कोशिश बताया गया और यह साफ कहा गया कि झारखंड में इस संशोधन को लागू नहीं किया जाना चाहिए।
राजनीतिक प्रस्ताव:
- झारखंड में वक्फ अधिनियम लागू करने का विरोध।
- संविधान के अनुच्छेदों की अवहेलना कर राज्यों से बिना परामर्श केंद्र द्वारा कानून लागू करने की नीति का विरोध।
- अल्पसंख्यकों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा का संकल्प।
महाधिवेशन की अन्य प्रमुख बातें:
1. हेमंत सोरेन की हुंकार:
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा, “झामुमो ने लंबा संघर्ष कर यह मुकाम पाया है। अब पार्टी गांव-गरीब और आदिवासी समाज की लड़ाई को नए चरण में ले जाने को तैयार है। ‘जीवन और जीविका’ हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
2. भाजपा पर तीखा प्रहार:
पार्टी नेता स्टीफन मरांडी ने आरोप लगाया कि “भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को साजिश के तहत जेल भेजा। ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी संस्थाओं का गलत इस्तेमाल लोकतंत्र के लिए खतरा है।”
3. प्रवासी श्रमिकों की वापसी और ‘झारखंड मॉडल’:
महाधिवेशन में बताया गया कि झारखंड सरकार ने कोरोना काल में प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षित वापसी कराई और राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार किया। ‘झारखंड मॉडल’ को देशभर में सराहा गया।
4. असम, ओडिशा और बंगाल में विस्तार का ऐलान:
झामुमो ने तीन नए राज्यों—असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल—में चुनावी रणनीति के तहत विस्तार करने का निर्णय लिया है। असम में प्रवासी झारखंडी समाज को संगठित कर चुनाव लड़ने की योजना बनाई जा रही है।
5. आदिवासी अधिकारों की पुनर्पुष्टि:
झामुमो ने पुनः कहा कि ‘जल, जंगल, जमीन’ पर आदिवासियों का हक है। पार्टी ने भूमि वापसी अधिनियम, स्थायी पट्टा, और परिसीमन के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की। प्रस्तावित परिसीमन में आदिवासी प्रतिनिधित्व कम करने की साजिश का आरोप भी लगाया गया।
6. लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति:
झामुमो ने साफ किया कि वह पंचायत से लेकर लोकसभा तक भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी। पार्टी ने 56 विधायकों की एकता को भाजपा की 56 इंच की राजनीति के जवाब के रूप में बताया।
महाधिवेशन का समापन:
15 अप्रैल को इस केंद्रीय महाधिवेशन का समापन होगा, जिसमें आगामी लोकसभा चुनावों की रणनीति, प्रत्याशी चयन प्रक्रिया, और राजनीतिक गठबंधनों पर फैसला हो सकता है।