रांची: इस वर्ष गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय कार्यक्रम में झारखंड की झांकी एक बार फिर देश की समृद्ध संस्कृति और परंपरा को कर्तव्य पथ पर प्रदर्शित करेगी। लगातार तीसरी बार झारखंड की झांकी का चयन राष्ट्रीय परेड के लिए हुआ है, जो राज्य के लिए गर्व का विषय है।

स्वर्गीय रतन टाटा को श्रद्धांजलि और झारखंड की विशेषताएं

झारखंड की झांकी में इस बार राज्य की धनी सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक नृत्य, और शिक्षा में नारीशक्ति के बढ़ते कदमों को प्रमुखता से दर्शाया जाएगा। इसके साथ ही स्वर्गीय रतन टाटा को भी झांकी के माध्यम से श्रद्धांजलि दी जाएगी। यह झांकी न केवल झारखंड की विविधता को दर्शाएगी, बल्कि राज्य की आधुनिक प्रगति और परंपराओं का अनूठा संगम भी पेश करेगी।

चयन प्रक्रिया में मिली सराहना

केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से झांकियों के प्रारूप मंगवाए गए थे। झारखंड की झांकी ने चयन प्रक्रिया में शामिल पदाधिकारियों का ध्यान खींचा और सराहना प्राप्त की। झारखंड समेत केवल 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों को राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए चुना गया है।

तैयारी और रिहर्सल का कार्यक्रम

चयनित झांकियों को 19 जनवरी 2025 तक पूरी तरह तैयार कर लेना होगा। इन झांकियों का रिहर्सल 23 जनवरी 2025 को आयोजित किया जाएगा, जिसमें झारखंड की झांकी भी अपने अद्वितीय परिधान और प्रस्तुतियों के साथ शामिल होगी।

पिछले वर्ष की झांकी पर नजर

पिछले वर्ष 2024 में झारखंड की झांकी ने तसर सिल्क की थीम पर देशभर में अपनी अलग पहचान बनाई थी। इस बार की झांकी भी राज्य की अनोखी विरासत और संस्कृति को भव्य रूप में प्रदर्शित करेगी।

झारखंड की झांकी का महत्व

झारखंड की झांकी न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करती है, बल्कि देश के सामने राज्य के विकास और उपलब्धियों को भी प्रस्तुत करती है। लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय कार्यक्रम में झारखंड की झांकी का चयन यह दर्शाता है कि राज्य की संस्कृति और योगदान को देशभर में सराहा जा रहा है।

गणतंत्र दिवस 2025 पर झारखंड की झांकी एक बार फिर कर्तव्य पथ पर झारखंड के गौरव को देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगी।

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