झारखंड में करोड़ों रुपये के शराब घोटाले की जांच कर रही एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने अब अपनी कार्रवाई तेज करते हुए जांच का दायरा और व्यापक कर दिया है। जांच एजेंसी ने उत्पाद विभाग के वर्तमान सचिव मनोज कुमार और हाल ही में सेवानिवृत्त हुए तत्कालीन आयुक्त अमित प्रकाश सहित कुल 15 लोगों को नोटिस जारी किया है। अमित प्रकाश पूर्व में झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के प्रबंध निदेशक भी रह चुके हैं।
इसके अलावा राज्यभर में कार्यरत कई प्लेसमेंट एजेंसियों के सीईओ, निदेशक और बोर्ड सदस्यों को भी एसीबी द्वारा समन जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया गया है। इन सभी से 7 जून के बाद पूछताछ की जाएगी।
अब तक की कार्रवाई
शराब घोटाले में एसीबी पहले ही कई उच्च पदस्थ अधिकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें पूर्व उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह और जेएसबीसीएल के दो पूर्व जीएम (फाइनेंस) सुधीर कुमार और सुधीर कुमार दास शामिल हैं।
वहीं इससे पहले दो बड़ी प्लेसमेंट एजेंसियों — विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड और मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड — के सात निदेशकों को भी नोटिस भेजा गया था। इनसे 3 और 4 जून को पूछताछ होनी है।
क्या है जांच में सामने आ रहा सच?
जांच में सामने आया है कि यह घोटाला सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि एक सुनियोजित आपराधिक साजिश थी। इसमें राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका बेहद संदिग्ध पाई गई है। बताया जा रहा है कि तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे नीतियों के निर्माण से लेकर वित्तीय नियंत्रण तक की पूरी प्रक्रिया पर प्रभाव रखते थे। उनके कार्यकाल में न तो मासिक गारंटी रेवेन्यू (MGR) की समीक्षा की गई और न ही निर्धारित नुकसान की वसूली की गई।
उस दौरान सरकार को करीब 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उनके बाद आए सचिव मनोज कुमार के कार्यकाल में यह घाटा और बढ़ गया। नौ महीने में यह आंकड़ा 200 करोड़ रुपये के पार चला गया। बावजूद इसके गारंटी की रकम वसूलने या बैंकिंग माध्यमों से कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह संकेत देता है कि जिम्मेदार अधिकारी जानते थे कि गारंटी महज दिखावा है और निजी एजेंसियों को जानबूझकर फायदा पहुंचाया जा रहा था।
समन किए गए कंपनियों और निदेशकों की सूची:
1.
ए टू जेड इंफ्रा सर्विस (गुड़गांव)
- अमित इंद्रसेन मित्तल (सीईओ)
- दीपाली मित्तल, मनोज तिवारी, अरुण गौड़, रितू गोयल, परमात्मा सिंह राठौर
- चेयरपर्सन प्रतिमा खन्ना
2.
ईगल हंटर्स सॉल्यूशन प्रा. लि.
- दक्ष लोहिया, सरोज लोहिया, महाराज सिंह
- कार्यकारी निदेशक: बृह हैरी संधु
3.
प्राइम वन वर्क फोर्स प्रा. लि. (भोपाल)
- संजीव जैन, राजीव द्विवेदी
आगे की कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, एसीबी पूछताछ के दौरान वित्तीय अनियमितताओं, प्लेसमेंट एजेंसियों को लाभ पहुंचाने वाले फैसलों और नीति निर्माण में की गई धांधलियों की परतें खोलने जा रही है। संभावना है कि जल्द ही और भी अधिकारियों और एजेंसियों को जांच के घेरे में लिया जाएगा।
यह घोटाला राज्य की ब्यूरोक्रेसी, कॉर्पोरेट गठजोड़ और कमजोर निगरानी व्यवस्था की एक गंभीर मिसाल बन चुका है। एसीबी की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में और बड़ी गिरफ्तारियों की आशंका जताई जा रही है।