झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और ओडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुबर दास कल शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में फिर से शामिल होंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, उनकी यह रीएंट्री भाजपा नेतृत्व के निर्देश पर हो रही है। गौरतलब है कि रघुबर दास ने पिछले साल के अंत में ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद से ही उनकी झारखंड भाजपा में वापसी की अटकलें तेज हो गई थीं।
भाजपा में शामिल होने के बाद रघुबर दास की भूमिका को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालांकि, यह माना जा रहा है कि उनकी वापसी के साथ ही झारखंड भाजपा में उनका कद और प्रभाव बढ़ सकता है। पार्टी के उच्च पदाधिकारियों ने जब उन्हें दोबारा शामिल कराने का निर्णय लिया है, तो यह तय है कि झारखंड में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
राजनीतिक समीकरण पर असर
रघुबर दास झारखंड के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री रहे हैं और उनका कार्यकाल 2014 से 2019 तक रहा। उनके नेतृत्व में भाजपा ने झारखंड में कई प्रमुख योजनाओं को लागू किया था। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले गठबंधन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
रघुबर दास की वापसी के साथ झारखंड भाजपा के भीतर नए समीकरण बन सकते हैं। पार्टी के लिए आगामी रणनीति में उनकी भूमिका अहम हो सकती है।
भाजपा में भरोसा और नेतृत्व की स्वीकृति
भाजपा नेतृत्व का रघुबर दास पर भरोसा यह दर्शाता है कि उन्हें झारखंड में एक बार फिर से पार्टी को मजबूत करने का जिम्मा सौंपा जा सकता है। राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में भाजपा को एक प्रभावी नेतृत्व की आवश्यकता है, और रघुबर दास को यह जिम्मेदारी मिलने की संभावना प्रबल है।
आगे की राह
रघुबर दास की रीएंट्री से झारखंड भाजपा को नई ऊर्जा मिल सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी वापसी के बाद पार्टी आगामी चुनावों और संगठनात्मक ढांचे में किस तरह के बदलाव करती है.