रांची

झारखंड पुलिस ने राज्यभर के मकान मालिकों को सख्त चेतावनी जारी की है। यदि किसी मकान मालिक ने जानबूझकर फरार या वांछित अपराधी को किराए पर जगह दी या पनाह दी, तो उसके खिलाफ भी आपराधिक मामला दर्ज कर उसे जेल भेजा जा सकता है।

पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के थानों को निर्देश दिया है कि किरायेदारों का अनिवार्य वेरिफिकेशन सुनिश्चित किया जाए और लोगों को जागरूक किया जाए कि बिना वेरिफिकेशन के किसी को भी किराए पर मकान न दें।

पुलिस ने शुरू किया किरायेदार वेरिफिकेशन अभियान

झारखंड पुलिस ने हर थाने को किरायेदार वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के निर्देश दिए हैं। मकान मालिक चाहें तो ऑफलाइन या ऑनलाइन माध्यम से फॉर्म भरकर स्थानीय थाने में जमा कर सकते हैं।

वेरिफिकेशन न कराने पर क्या होगा?

  • यदि किराएदार आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है और उसका वेरिफिकेशन नहीं कराया गया है, तो मकान मालिक पर भी कार्रवाई होगी।
  • यदि कोई मकान मालिक जानबूझकर अपराधी को पनाह देता है, तो धारा 212 (अपराधी की मदद करना) और संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज कर सीधे जेल भेजा जा सकता है।

वेरिफिकेशन कैसे कराएं?

  1. किरायेदार से आधार कार्ड, फोटो, मोबाइल नंबर और स्थायी पता लें।
  2. इन दस्तावेजों के साथ पुलिस वेरिफिकेशन फॉर्म भरें।
  3. फॉर्म को स्थानीय थाने में जमा करें या संबंधित जिले की पुलिस वेबसाइट से ऑनलाइन सबमिट करें (जहां सुविधा उपलब्ध है)।
  4. पुलिस द्वारा सत्यापन के बाद रिकॉर्ड में एंट्री की जाएगी।

क्यों जरूरी है यह कदम?

हाल के दिनों में राज्य के कई जिलों में किरायेदारों के रूप में अपराधियों द्वारा पनाह लेने के मामले सामने आए हैं। कई बार मकान मालिकों को भी अनजाने में पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। इसी को देखते हुए पुलिस ने यह कदम उठाया है।

पुलिस का संदेश:

“हर मकान मालिक को चाहिए कि वह जिम्मेदार नागरिक की तरह किरायेदार के दस्तावेज थाने में जमा कराएं। यह न सिर्फ आपकी सुरक्षा के लिए जरूरी है बल्कि समाज की सुरक्षा के लिए भी।”

निष्कर्ष :

मकान मालिकों के लिए अब लापरवाही की कोई जगह नहीं है। पुलिस वेरिफिकेशन कराना एक जिम्मेदारी भी है और कानून का पालन भी। सुरक्षा में लापरवाही की कीमत अब जेल की सजा बन सकती 

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version