जमशेदपुर/चाकुलिया

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले से एक चौंकाने वाला प्रशासनिक घोटाला सामने आया है, जहाँ चाकुलिया प्रखंड की मटियाबांधी पंचायत में बिना किसी वैध दस्तावेज़ के 4,000 से अधिक जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए। जिला प्रशासन की सतर्कता और जांच के बाद अब तक इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें पंचायत सचिव और सरकारी सेवा केंद्र के प्रतिनिधि शामिल हैं।

कैसे खुला फर्जीवाड़े का राज?

इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब बीपीएल वर्ग के बच्चों के स्कूल दाखिले के लिए जमा किए गए जन्म प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया जा रहा था। प्रारंभिक जांच में कई दस्तावेज संदिग्ध पाए गए। इसके बाद जिला पुलिस ने मटियाबांधी पंचायत द्वारा जारी सभी प्रमाण पत्रों की समीक्षा शुरू की।

जांच में सामने आया कि जनवरी 2023 से अब तक पंचायत की ओर से कुल 4,281 जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए, जिनमें से अधिकांश बिना किसी वैध दस्तावेज या फर्जी कागज़ों के आधार पर बनाए गए थे।

प्रशासनिक एक्शन और एसआईटी का गठन

चाकुलिया की प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) आरती मुंडा की ओर से 2 मई 2025 को मामला दर्ज कराया गया। इसके बाद जिला प्रशासन और पुलिस ने तेज़ी से कार्रवाई शुरू की।

जमशेदपुर के पुलिस उपायुक्त अनन्या मित्तल और एसएसपी किशोर कौशल ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस घोटाले की जानकारी दी। साथ ही पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) ऋषभ गर्ग के नेतृत्व में विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया।

गिरफ्तार आरोपी और उनकी भूमिका

जांच के आधार पर जिन पाँच लोगों को गिरफ्तार किया गया, उनके नाम और जिम्मेदारियाँ इस प्रकार हैं:

  • सुनील महतो (59) – मटियाबांधी पंचायत के सचिव
  • सपन कुमार महतो (45) – मटियाबांधी पंचायत के ग्राम स्तरीय उद्यमी (VLE)
  • शिवम डे (31) – मालकुंडी पंचायत
  • हरीश कुमार प्रमाणिक (26) – तुजू पंचायत
  • अरफी आलम (27) – रांची निवासी, तकनीकी रूप से कागजात तैयार कराने में मददगार

पुलिस के अनुसार, वीएलई के रूप में कार्यरत आरोपी सपन महतो का दायित्व था कि वह सरकार की ओर से प्रमाणित सेवा केंद्र के माध्यम से नागरिकों को सरकारी सेवाएँ उपलब्ध कराएँ, लेकिन उसने इसका दुरुपयोग करते हुए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र तैयार किए।

क्या है आगे की कार्रवाई की योजना?

एसएसपी किशोर कौशल ने बताया कि अभी यह सिर्फ शुरुआती कड़ी है और पूरे नेटवर्क की छानबीन की जा रही है। SIT अन्य पंचायतों में भी इसी प्रकार की अनियमितताओं की जाँच कर रही है। तकनीकी साक्ष्य, डिजिटल ट्रेल और दस्तावेजों के फॉरेंसिक विश्लेषण के ज़रिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े के पीछे कौन-कौन से बड़े चेहरे शामिल हैं।

प्रभावित हुए हैं सरकारी योजनाएं और शिक्षा प्रणाली

विशेषज्ञों की मानें तो इतनी बड़ी संख्या में फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों के आधार पर सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग हुआ होगा। स्कॉलरशिप, छात्रवृत्ति, स्कूल दाखिला, जाति प्रमाण पत्र और सरकारी नौकरियों में उम्र संबंधी मानदंडों में हेरफेर के मामलों में भी अब जांच की जा रही है।

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