घाटशिला। झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी अबुआ आवास योजना का दुरुपयोग करने वालों पर अब प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता का लाभ उठाने के बाद भी कई लाभुक आवास निर्माण में लापरवाही बरत रहे हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है और ऐसे लाभुकों पर थाने में नामजद एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।
पहली किस्त के बाद भी नहीं हुआ निर्माण
गुरुवार को घाटशिला प्रखंड के डंडई इलाके से ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां 47 लाभुकों ने अबुआ आवास योजना के अंतर्गत पहली किस्त की राशि तो प्राप्त कर ली, लेकिन तय समयावधि में घर बनाने का काम शुरू नहीं किया। इसके बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) देवलाल करमाली ने संबंधित लाभार्थियों के खिलाफ स्थानीय थाने में आवेदन देकर मामला दर्ज करवाया।
प्रशासन ने दी थी चेतावनी और नोटिस
बीडीओ की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में लाभुकों को पहली किस्त की राशि योजना के तहत प्रदान की गई थी। इसके बावजूद उन्होंने कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं किया। BDO कार्यालय की ओर से दो बार नोटिस जारी कर स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि या तो तुरंत निर्माण कार्य शुरू करें, या फिर सरकार द्वारा दी गई राशि को नजारत में वापस जमा करें। लेकिन कई लाभार्थियों ने न तो निर्माण शुरू किया और न ही राशि लौटाई।
एफआईआर से फैली हड़कंप की स्थिति
बीडीओ की पहल पर दर्ज हुई FIR के बाद डंडई क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। प्रशासन की इस कार्रवाई को एक कड़ा संदेश माना जा रहा है कि सरकारी योजनाओं में किसी भी तरह की लापरवाही या धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बीडीओ देवलाल करमाली ने कहा, “यह योजना गरीबों के लिए है, और इसका उद्देश्य सभी को छत मुहैया कराना है। यदि कोई लाभार्थी इसका दुरुपयोग करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
सरकारी राशि का दुरुपयोग: सवालों के घेरे में निगरानी व्यवस्था
यह मामला केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। झारखंड के अन्य जिलों से भी ऐसी शिकायतें सामने आई हैं कि कई लाभार्थी सरकार से सहायता लेने के बाद उसका उपयोग घर बनाने की बजाय अन्य गैर-प्राथमिक कार्यों में कर रहे हैं। यह प्रशासनिक निगरानी और लाभुकों की जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है।
अबुआ आवास योजना का उद्देश्य
गौरतलब है कि झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई अबुआ आवास योजना का मकसद राज्य के ऐसे लोगों को पक्का मकान मुहैया कराना है, जिनके पास रहने के लिए सुरक्षित छत नहीं है। यह योजना प्रधानमंत्री आवास योजना से अलग है और इसमें स्थानीय सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा विशेष सहायता दी जाती है।
आगे की कार्रवाई जारी
पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और अब आगे की कानूनी प्रक्रिया के तहत संबंधित लाभार्थियों से राशि की वसूली और उनके खिलाफ संभावित गिरफ्तारी जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। प्रशासन द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में लाभार्थी चयन की प्रक्रिया और निगरानी और अधिक पारदर्शी और कठोर हो।