नई दिल्ली. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत–पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ने के बीच भारतीय वायुसेना ने एक व्यापक युद्धाभ्यास शुरू किया है, जिसे ‘आक्रमण’ नाम दिया गया है। इस अभ्यास का उद्देश्य विभिन्न युद्ध स्थितियों में वायुसेना की तत्परता, समन्वय क्षमता और मारक शक्ति को परखना है।
‘आक्रमण’ अभ्यास की रूपरेखा
- नाम व उद्देश्य: ‘आक्रमण’ अभ्यास का मुख्य लक्ष्य चौकसी और तीव्र जवाबी कार्रवाई की क्षमता का मूल्यांकन करना है।
- समन्वित उड़ान: अभ्यास में वायुसेना के कई एयरबेस—अंबाला, हाशिमारा, सुजानगढ इत्यादि—से उड़ान भरने वाले विमानों ने भाग लिया।
- कमान्ड एंड कंट्रोल: जवॉइंट कमांड पोस्ट के माध्यम से वास्तविक समय में मिशन डेटा शेयर कर सतत निगरानी और निर्णय लेने की प्रक्रिया को परखा गया।
राफेल फाइटर जेट्स की प्रमुख भूमिका
- वायुसेना के पास दो राफेल स्क्वाड्रन हैं, जो अंबाला (हरियाणा) और हाशिमारा (पश्चिम बंगाल) में तैनात हैं।
- ये स्क्वाड्रन अभ्यास की अग्रिम पंक्ति में रहें, मॉक एयर–टू–एयर एवं एयर–टू–ग्राउंड हमलों का प्रदर्शन करते हुए बेहतरीन गति और मारक क्षमता दिखाई।
- राफेल के अलावा सुखोई, मिराज व तेजस विमानों को भी हमले की विभिन्न परिस्थितियों में उड़ान भरकर जाँचा गया।
रणनीतिक महत्व
- संकट प्रबंधन: सीमा पर आकस्मिक हालात में तेज निर्णय लेने व कार्रवाई योजनाओं को टेस्ट किया गया।
- दुश्मन को संदेश: अभ्यास के माध्यम से यह स्पष्ट संकेत दिया गया कि किसी भी समय वायुसेना तैयार है, और भारत की आक्रामक व प्रतिक्रियाशील दोनों ही क्षमताएँ प्रभावी हैं।
- भविष्य की कार्यनीति: इस अभ्यास के निष्कर्षों के आधार पर ऑपरेशनल डोctrine और पल की स्तिथि में समर्थन सुविधाओं (लॉजिस्टिक्स, रिफ्यूलिंग, मिसाइल सप्लाई) में सुधार के सुझाव सामने आएंगे।