झारखंड में माओवादी नेटवर्क के सबसे खतरनाक चेहरों में शामिल प्रयाग मांझी उर्फ विवेक की मुठभेड़ में मौत कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी और गोपनीय रणनीति का परिणाम है—जिसके पीछे DGP अनुराग गुप्ता की बेजोड़ प्लानिंग और लीडरशिप रही। इस ऑपरेशन में प्रयाग समेत उसके पूरे दस्ते का सफाया हो गया, जो उत्तर छोटानागपुर में माओवाद को दोबारा जिंदा करने की कोशिश में जुटा था।
सिर्फ एक रात में बनी रणनीति, लेकिन महीनों से चल रही थी प्लानिंग
इस मुठभेड़ की पटकथा एक रात में लिखी गई—लेकिन इसकी पृष्ठभूमि पिछले डेढ़ महीने से बन रही थी। प्रयाग मांझी की गतिविधियों पर खुफिया एजेंसियां लगातार नजर रख रही थीं। सेंट्रल कमेटी का यह मेंबर लगातार लुगू पहाड़, पारसनाथ और झुमरा पहाड़ियों में अपनी जगह बदलते हुए संगठन को फिर से जिंदा करने की साजिश में जुटा था।
रविवार की रात जब इनपुट मिला कि प्रयाग लुगू पहाड़ के पास मौजूद है, तब DGP अनुराग गुप्ता ने IG ऑपरेशन अमोल वी होमकर और CRPF सेक्टर IG साकेत कुमार सिंह के साथ मिलकर एक बेहद गोपनीय और सटीक रणनीति बनाई। नतीजा: सोमवार सुबह तक नक्सलियों का सबसे ताकतवर गुट ध्वस्त हो चुका था।
रणनीति से नतीजा: एकतरफा मुठभेड़, घातक हथियार जब्त
करीब ढाई घंटे तक चले ऑपरेशन में नक्सलियों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। पुलिस और CRPF की संयुक्त टीम ने अत्याधुनिक हथियारों के साथ घेरेबंदी की और नक्सलियों पर एकतरफा हमला बोला। मुठभेड़ खत्म होने के बाद सर्च ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को मिलीं कई घातक हथियारें—जिनमें AK सीरीज राइफल, INSAS, SLR और देसी हथियार शामिल थे।
पूरी कार्रवाई की टाइमलाइन: मिनट दर मिनट ऑपरेशन की झलक
- 8:30 AM: मारे गए नक्सलियों के साथियों ने भागने की कोशिश की
- 9:00 AM: इलाके में पुलिस की मोर्चाबंदी
- 9:30 AM: सर्च ऑपरेशन की शुरुआत
- 10:30 AM: तीन नक्सलियों की पहचान हुई
- 11:30 AM: ग्रामीणों से पूछताछ कर बाकी की पहचान
- 4:30 PM: सर्च ऑपरेशन चला पूरे इलाके में
- 5:40 PM: शवों को बोकारो पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया
रणविजय और मिथलेश की गिरफ्तारी से मिली निर्णायक सूचना
इस ऑपरेशन की नींव तभी पड़ गई थी जब माओवादियों के सैक कमांडर मिथलेश ने सरेंडर किया और रणविजय महतो को जनवरी में गिरफ्तार किया गया। दोनों से पूछताछ के दौरान प्रयाग मांझी और उसके नेटवर्क की अहम जानकारियां मिलीं। इसी कड़ी में प्रयाग की पत्नी 25 लाख की इनामी जया मांझी की गिरफ्तारी और फिर रिम्स में मौत (सितंबर 2024) ने भी उसके नेटवर्क को कमजोर कर दिया था।
DGP अनुराग गुप्ता: ऑपरेशन लीडर और रणनीतिकार
DGP अनुराग गुप्ता की इस ऑपरेशन में भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
- उन्होंने ना सिर्फ ऑपरेशन को गोपनीय बनाए रखा,
- बल्कि उच्चस्तरीय समन्वय और तेज फैसलों की लीडरशिप दी
- उनके नेतृत्व में पुलिस ने बिना किसी नुकसान के माओवादियों को करारा जवाब दिया
- यह ऑपरेशन उनके कार्यकाल का सबसे बड़ी रणनीतिक सफलता माना जा रहा है
अगला मोर्चा: अब कौन हैं बचे हुए टॉप माओवादी?
अब माओवादी संगठन में केवल तीन बड़े चेहरे बचे हैं—
- मिसिर बेसरा (ERB सचिव और पोलित ब्यूरो मेंबर)
- पतिराम मांझी उर्फ अनल (सेंट्रल कमेटी सदस्य)
- आकाश मंडल उर्फ तिमिर (प्रमुख रणनीतिकार)
प्रवेश सोरेन को भी अब पारसनाथ की कमान सौंपे जाने की चर्चा है, लेकिन प्रयाग मांझी के स्तर की पकड़ अभी किसी के पास नहीं है।
निष्कर्ष: झारखंड के जंगलों में शांति की ओर पहला बड़ा कदम
प्रयाग मांझी का खात्मा केवल एक नक्सली की मौत नहीं, बल्कि पूरे नक्सल नेटवर्क के टूटने की शुरुआत है। DGP अनुराग गुप्ता और उनकी टीम ने जो कर दिखाया है, वह माओवादियों के खिलाफ झारखंड की अब तक की सबसे निर्णायक कार्रवाई मानी जा रही है। उत्तर छोटानागपुर अब माओवाद मुक्त हो चुका है—और यह कहानी पुलिस के परिश्रम, खुफिया जानकारी और बेमिसाल रणनीति की मिसाल बन गई है।