झारखंड सरकार ने सभी 49 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के मौजूदा सीमाओं के बाहरी इलाके को चिन्हित करके उनका विस्तार करने का प्रस्ताव नगर विकास विभाग के माध्यम से मंत्रिमंडल को प्रस्तुत किया है। इस कदम का उद्देश्य लगातार बढ़ती आबादी और अनियोजित शहरीकरण को नियंत्रित करते हुए, नए आवासीय और वाणिज्यिक विकास के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना—जैसे सड़क, जलापूर्ति, सीवरेज ट्रीटमेंट और बिजली आपूर्ति—को बड़ी योजनाबद्धता से स्थापित करना है।

विस्तार के प्रमुख बिंदु

जनसंख्या मानक आधारित क्षेत्रफल विस्तार

• रांची: वर्ष 2037 की अनुमानित जनसंख्या के अनुपात में मौजूदा क्षेत्र में 476.90 वर्ग किमी का इज़ाफा

• धनबाद: वर्ष 2041 की जनसंख्या के अनुरूप 302.15 वर्ग किमी का विस्तार

• मझआंव नगर पंचायत: वर्ष 2040 के मानक पर मात्र 5.26 वर्ग किमी का वृद्धि क्षेत्र

• विश्रामपुर नगर पंचायत: कोई अतिरिक्त विस्तार नहीं

टायर-आधारित ज़ोनिंग

• टायर-वन (5 किमी), टायर-टू (3 किमी), टायर-थ्री (2 किमी) के वर्गीकरण से बाहरी इलाकों को नियंत्रित बढ़ाया जाएगा।

• प्रत्येक टायर में विकास प्राधिकार (RRDA मॉडल के तहत) की ओर से योजनाबद्ध निगरानी व कार्यान्वयन होगा—कोल्हान, पलामू, संताल परगना व उत्तरी छोटानागपुर विकास प्राधिकरणों की सहायता से।

नक्शा पासिंग पर सरल प्रक्रिया

• बढ़े हुए क्षेत्र में बनने वाले भवनों के नक्शे पास कराने का प्रभार संबंधित नगर निकाय प्रशासकों को सौंपा जाएगा।

• नक्शा पासिंग के लिए नाममात्र शुल्क रखा गया है, ताकि बेतरतीब निर्माणों पर नियंत्रण रहे और नियोजित शहरी विकास सुनिश्चित हो सके।

भविष्य की योजनाएँ

• विस्तारित क्षेत्रों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, विस्तारित विद्युत ग्रिड, पानी की पाइपलाइन तथा सड़क व हरित क्षेत्र की विकास परियोजनाएँ शामिल होंगी।

• स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और सामुदायिक सुविधाएँ नियोजित ज़ोनिंग के अंतर्गत आएँगी।

फायदा किसे मिलेगा?

1. निवासियों को सुव्यवस्थित बुनियादी सुविधाएँ

• पानी, बिजली, सीवरेज जैसी सेवाएँ योजनाबद्ध तरीके से मिलने से जीवनस्तर में सुधार।

2. रियल एस्टेट डेवलपर्स को पारदर्शी प्रक्रिया

• नक्शा पासिंग का त्वरित तंत्र तथा स्पष्ट शुल्क निर्धारण—कम विलंब, कम भ्रष्टाचार।

3. नगर निकायों को राजस्व वृद्धि

• नए क्षेत्रों में कर आधार का विस्तार, सुधारित कर संग्रह से शहरों का आर्थिक सुदृढ़ीकरण।

4. पर्यावरण एवं शहर नियोजन को मजबूती

• गैर-नियोजित निर्माण पर रोख, हरित क्षेत्रों एवं परिवहन नेटवर्क के संतुलित विकास से दीर्घकालिक स्थिरता।

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