झारखंड के गोड्डा जिले में विशेष न्यायालय ने नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने और उसका वीडियो वायरल करने के आरोप में दोषी पाए गए आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई है। इस फैसले ने समाज में इस तरह के अपराधों के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है और पीड़ितों के लिए न्याय की उम्मीद को मजबूत किया है।
कोर्ट का फैसला:
विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) सह जिला जज प्रथम पवन कुमार की अदालत ने मो शहाबुद्दीन अंसारी को दोषी ठहराया और उसे 20 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही आरोपी पर 1,50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसका भुगतान न करने पर उसे एक साल अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
आरोपी द्वारा इंटरनेट पर पीड़िता के नग्न वीडियो को वायरल करने के आरोप में पॉक्सो एक्ट की दूसरी धारा में तीन साल की सजा और 10,000 रुपये जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना न देने पर तीन महीने की अतिरिक्त सजा सुनाई गई। इसके अलावा, आरोपी को आईटी एक्ट में दो साल की सजा भी मिली। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।
घटनाक्रम:
यह मामला 27 नवंबर 2023 का है, जब आरोपी मो शहाबुद्दीन अंसारी, जो बिहार के सीतामढ़ी जिले के ननकारा विशंभरपुर का निवासी है, पीड़िता के घर आया। उसने पीड़िता से नग्न होने को कहा, मना करने पर वह जबरन उसके साथ दुष्कर्म कर बैठा। इसके बाद उसने पीड़िता का नग्न वीडियो बना लिया और उसे वायरल करने की धमकी दी। आरोपी ने पीड़िता पर शादी का दबाव भी डाला, जबकि लड़की ने इनकार किया तो उसे उसके पिता को जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद, आरोपी ने 28 फरवरी 2024 को इस नग्न वीडियो को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर वायरल कर दिया।
पीड़िता ने 29 फरवरी 2024 को हनवारा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके बाद मामला कोर्ट में पहुंचा। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में आठ गवाहों की गवाही प्रस्तुत की और आरोपी के खिलाफ पूरी जांच की गई।
कोर्ट का आदेश:
कोर्ट ने पीड़िता के पुनर्वास के लिए आरोपी से वसूल की जाने वाली जुर्माना राशि को निर्धारित किया है। इसके साथ ही पीड़िता को मुआवजे के रूप में आर्थिक सहायता देने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आदेशित किया गया है।
समाज के लिए संदेश:
यह फैसला उन अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश है जो नाबालिगों के साथ शोषण और दुष्कर्म जैसे अपराध करते हैं। ऐसे अपराधों से समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है, क्योंकि इन अपराधों से न केवल पीड़ितों को मानसिक और शारीरिक रूप से नुकसान होता है, बल्कि समाज की पूरी संरचना पर भी इसका गहरा असर पड़ता है।
नाबालिगों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि इस तरह के अपराधों को किसी भी हालत में न तो सहन किया जा सकता है और न ही इन्हें बढ़ावा दिया जा सकता है। अदालत का यह निर्णय इस बात को प्रमाणित करता है कि कानून अपराधियों को सख्त सजा देकर समाज में न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
न्याय की ओर एक कदम:
झारखंड के गोड्डा जिले का यह फैसला एक नज़ीर बनता है कि अपराधी चाहे जितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, अगर अपराध साबित होता है तो उसे न्याय के दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता। इस फैसले से यह भी संदेश जाता है कि पीड़ितों को अपनी आवाज़ उठाने का अधिकार है और उन्हें किसी भी स्तर पर न्याय मिलेगा।
किसे करें सूचित:
इस प्रकार के अपराधों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के लिए समाज को और अधिक जागरूक करने की आवश्यकता है। लोगों को नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति संवेदनशील बनने की आवश्यकता है। जब भी कोई बच्चा या नाबालिग इस तरह के अपराध का शिकार होता है, तो उसे डरने की बजाय तत्काल पुलिस या संबंधित अधिकारी को सूचित करना चाहिए।
निष्कर्ष:
यह घटना न केवल न्याय की प्राप्ति का प्रतीक है बल्कि यह भी दर्शाती है कि हमारे समाज में अपराधों के खिलाफ एक मजबूत कानूनी ढांचा है। इस फैसले ने न केवल आरोपी को सजा दिलवायी है, बल्कि समाज में ऐसे अपराधों के प्रति एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि ऐसे कृत्यों के लिए कड़ी सजा दी जाएगी।