दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला जब आतिशी ने 21 सितंबर को दिल्ली की आठवीं और तीसरी महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री का पद संभाला। हालांकि, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से पहले ही आतिशी के सामने एक कानूनी चुनौती खड़ी हो गई है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आतिशी, अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (AAP) के अन्य नेताओं को 3 अक्टूबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
इस कानूनी मुसीबत का केंद्र एक मानहानि का मामला है, जिसे भाजपा नेता राजीव बब्बर ने अरविंद केजरीवाल, आतिशी और अन्य AAP नेताओं के खिलाफ दायर किया था। यह मामला 2018 का है, जब आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने राष्ट्रीय राजधानी में मतदाता सूची से लगभग 30 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए हैं। इन आरोपों के बाद, राजीव बब्बर ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया, और मार्च 2019 में एक मजिस्ट्रेट ने केजरीवाल, आतिशी और अन्य नेताओं को समन जारी किया।
AAP नेताओं ने इस समन के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील की, लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा, जहां फरवरी 2022 में अदालत ने AAP नेताओं के खिलाफ चल रही कार्यवाही पर अस्थायी रोक लगा दी थी।
दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय और मौजूदा स्थिति
हालांकि, कुछ दिनों पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए AAP नेताओं की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मानहानि मामले को वापस लेने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के समन आदेश को बरकरार रखा और अरविंद केजरीवाल, आतिशी और अन्य AAP नेताओं को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
इसके बाद, राउज एवेन्यू कोर्ट ने 3 अक्टूबर की तारीख तय की है, जिस दिन आतिशी, अरविंद केजरीवाल और अन्य नेताओं को अदालत में पेश होना होगा। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टि से बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के पदभार ग्रहण करने से पहले ही उन्हें अदालत के समक्ष पेश होना पड़ेगा।
आतिशी की नई पारी और चुनौतियां
आतिशी ने 21 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जो उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है। वह शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज के बाद दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री हैं। 43 वर्षीय आतिशी ने शपथ लेते ही दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू कर दिया है। आतिशी की सरकार का कार्यकाल छोटा होगा, क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव फरवरी 2025 में होने वाले हैं।
आतिशी ने केजरीवाल सरकार में अपने पास मौजूद 13 विभागों को बरकरार रखा है, जिसमें शिक्षा, राजस्व, वित्त, बिजली और पीडब्ल्यूडी शामिल हैं। उनके मंत्रिमंडल में एक नए सदस्य मुकेश अहलावत को कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री पद पर आतिशी का सफर
मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी के कार्यकाल को काफी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। अरविंद केजरीवाल के कार्यकाल में आतिशी को शिक्षा और विकास के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए सराहा गया था। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के उनके प्रयासों को दिल्ली के स्कूलों में व्यापक रूप से देखा गया। आतिशी का शिक्षा मॉडल और नीतियां केजरीवाल सरकार की पहचान बन चुकी थीं।
आतिशी की छवि एक कुशल और दृढ़ नेता की है, जिन्होंने केजरीवाल सरकार में शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया। आतिशी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने कार्यकाल में विकास कार्यों को गति देने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने की होगी। साथ ही, उन्हें बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों के तीखे प्रहारों का भी सामना करना होगा, जो उनके खिलाफ अदालत में चल रहे मामलों को राजनीतिक मुद्दा बना सकते हैं।
निष्कर्ष
आतिशी का मुख्यमंत्री पद पर आना दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ है, लेकिन शपथ ग्रहण से पहले ही कानूनी मुश्किलें उनके सामने खड़ी हो गई हैं। 3 अक्टूबर को राउज एवेन्यू कोर्ट में होने वाली सुनवाई आतिशी और AAP नेताओं के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। अब देखना यह होगा कि आतिशी इस कानूनी चुनौती का सामना कैसे करती हैं और मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल को किस दिशा में ले जाती हैं। उनके समर्थकों को उम्मीद है कि आतिशी इन चुनौतियों को पार कर अपनी नई भूमिका में सफल होंगी और दिल्ली को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।