मध्य प्रदेश के अनोखे अंदाज के लिए चर्चित बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने एक युवक की गुटखा खाने की आदत को लेकर ऐसा फरमान सुनाया, जिसने पूरे गांव को बिजली से वंचित कर दिया। यह घटना तब हुई जब एक युवक अपने गांव के खराब बिजली ट्रांसफार्मर की शिकायत लेकर विधायक के जनता दरबार में पहुंचा था।
घटना का पूरा विवरण
घटना उस समय की है जब एक युवक विधायक प्रदीप पटेल के पास गांव में खराब बिजली ट्रांसफार्मर की समस्या के समाधान के लिए पहुंचा। लेकिन युवक की गलती यह थी कि वह गुटखा चबा रहा था, और यह विधायक पटेल को बिल्कुल नागवार गुज़रा। विधायक ने तुरंत युवक की मां को फोन कर पूछताछ शुरू कर दी। उन्होंने मां से यह सवाल भी किया कि वह अपने बेटे को गुटखा खाने से रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठातीं। मां का जवाब था कि विधायक खुद उसे समझाएं। इसके बाद विधायक ने युवक से कड़ी लहजे में कहा कि जब तक वह गुटखा खाना नहीं छोड़ेगा, तब तक ट्रांसफार्मर नहीं लगेगा।
गांव को सामूहिक सजा
विधायक प्रदीप पटेल के इस फैसले ने पूरे गांव को बिजली से वंचित कर दिया। एक युवक की आदत के कारण गांव के सभी लोग इस सामूहिक सजा का शिकार हो गए। इससे ग्रामीणों में नाराजगी फैल गई और विधायक के इस निर्णय पर सवाल उठाए जाने लगे। लोगों का मानना है कि एक व्यक्ति की गलती के लिए पूरे गांव को दंडित करना अनुचित है।
विधायक का दृष्टिकोण
विधायक प्रदीप पटेल का मानना है कि गुटखा खाना न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों से जुड़ी एक समस्या भी है। उनका कहना है कि गुटखा जैसी आदतों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि युवा पीढ़ी इस आदत से दूर रह सके।
जनता में असंतोष
विधायक के इस निर्णय के बाद गांव वालों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या किसी व्यक्ति की आदत के लिए पूरे गांव को जिम्मेदार ठहराना सही है? इसके अलावा, ग्रामीणों का कहना है कि यदि विधायक को वास्तव में गुटखा की समस्या को लेकर इतना ही सोचना था, तो उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर युवक को समझाना चाहिए था, न कि पूरे गांव की समस्या को लंबित रखना चाहिए था।
सवाल उठता है: क्या यह सही तरीका है?
इस तरह के फैसले से एक बार फिर सवाल उठता है कि क्या सामूहिक सजा देना सही है? विधायक का मानना है कि इससे एक कड़ा संदेश जाएगा और लोग गुटखा जैसी आदतों से दूर रहेंगे। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि इस तरह के उपायों से न केवल लोगों में नाराजगी बढ़ती है, बल्कि विधायक की छवि पर भी सवाल खड़े होते हैं। गुटखा छोड़ना व्यक्तिगत फैसला है और किसी को भी इसे छोड़ने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष
विधायक प्रदीप पटेल के इस अजीब फरमान ने पूरे गांव को मुश्किल में डाल दिया है। इस घटना से यह स्पष्ट है कि नेताओं को अपनी शक्ति का सही उपयोग करते हुए लोगों की समस्याओं का हल निकालने की आवश्यकता है, न कि व्यक्तिगत आदतों के आधार पर सामूहिक निर्णय लेने की। गुटखा एक स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन इसके समाधान के लिए संवेदनशीलता और समझ की जरूरत होती है, न कि कठोर फरमान की।