कोडरमा, झारखंड:
झारखंड के कोडरमा जिले से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक निजी स्कूल पर आसमानी बिजली गिरने से आठ छात्र-छात्राएं घायल हो गए। यह घटना बुधवार दोपहर मरकच्चो प्रखंड की पपलो पंचायत अंतर्गत विधनिया मौजा में स्थित संत मौर्य निजी स्कूल में हुई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जब यह हादसा हुआ, तब स्कूल में कक्षाएं चल रही थीं और सभी छात्र लोहे की बेंच पर बैठे हुए थे। अचानक मौसम बदलने के साथ ही बारिश शुरू हुई और इसी दौरान आसमान से बिजली गिरी। लोहे की बेंचों के कारण विद्युत धारा तेजी से फैली और आठ बच्चे इसकी चपेट में आ गए।
घायल बच्चों को तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मरकच्चो में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों के अनुसार सभी बच्चों की स्थिति फिलहाल खतरे से बाहर है।
घायल बच्चों की पहचान इस प्रकार हुई है:
- रोशनी कुमारी (10 वर्ष), कक्षा 6
- रिया कुमारी (6 वर्ष), कक्षा 1
- अनीशा कुमारी (11 वर्ष), कक्षा 6
- सुजाता कुमारी (15 वर्ष), कक्षा 10
- अंजुम खातून (15 वर्ष), कक्षा 10
- प्रिया कुमारी (10 वर्ष), कक्षा 6
- संजना कुमारी (8 वर्ष), नर्सरी
- रितेश यादव (6 वर्ष), यूकेजी
प्रशासनिक टीम ने लिया जायजा:
घटना की जानकारी मिलते ही बीडीओ हुलास महतो एवं शिक्षा विभाग के बीपीओ प्रभुदेव यादव ने अस्पताल पहुंचकर घायल बच्चों का हालचाल जाना और स्कूल में हुई घटना की जानकारी ली। प्रशासन द्वारा बच्चों के इलाज की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।
स्कूल की स्थिति पर सवाल:
जांच में यह बात सामने आई है कि संत मौर्य निजी स्कूल को यू-डाइस कोड के बिना संचालित किया जा रहा था। इसके अलावा स्कूल में ना तो तड़ित चालक (Lightning Arrester) की व्यवस्था थी और ना ही वह सरकारी दिशा-निर्देशों और मानकों के अनुरूप संचालित हो रहा था। यह लापरवाही बच्चों की जान पर भारी पड़ सकती थी।
स्थानीय लोगों और अभिभावकों में नाराज़गी:
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है। अभिभावकों ने सवाल उठाया है कि बिना अनुमति और सुरक्षा मानकों के कैसे स्कूल चलाया जा रहा था। वे मांग कर रहे हैं कि प्रशासन इस तरह के अवैध और असुरक्षित स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
विशेषज्ञों की राय:
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश के दौरान खुले स्थानों या विद्युत प्रवाहक सामग्री जैसे लोहे के संपर्क में रहना अत्यंत खतरनाक होता है। स्कूलों को इस प्रकार की घटनाओं से बचाव के लिए तड़ित सुरक्षा प्रणाली अवश्य लगवानी चाहिए।
निष्कर्ष:
यह घटना न केवल एक प्राकृतिक आपदा की चेतावनी है, बल्कि स्कूलों की कार्यप्रणाली, सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक निगरानी पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। जरूरत है कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाए ताकि भविष्य में बच्चों की जान को खतरे में ना डाला जा सके