झारखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों छात्र-छात्राओं को इस समय भारी असमंजस का सामना करना पड़ रहा है। कारण है शिक्षा विभाग का ऐसा आदेश, जो शैक्षणिक तर्क और छात्रों की मानसिक तैयारी—दोनों को ही ठेस पहुंचाता है। विभाग ने 11वीं के छात्रों को पहले 12वीं की मासिक परीक्षा दिलवाने का फरमान जारी कर दिया है, जबकि उनकी खुद की वार्षिक परीक्षा बाद में करवाई जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (JCERT) ने 12वीं की मासिक मूल्यांकन परीक्षा का शिड्यूल 5 और 6 मई को तय किया है। वहीं, झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) ने 11वीं की वार्षिक परीक्षा की तिथियां 20 से 22 मई के बीच घोषित कर दी हैं। यानी 11वीं के छात्र पहले 12वीं के सिलेबस पर आधारित मासिक टेस्ट देंगे, और फिर अपनी खुद की वार्षिक परीक्षा में बैठेंगे।
छात्रों के लिए उलझन भरा आदेश
इस अजीब व्यवस्था ने न सिर्फ छात्रों को भ्रमित किया है, बल्कि शिक्षकों और स्कूल प्रशासन को भी असमंजस में डाल दिया है। छात्र यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे 12वीं के मूल्यांकन की तैयारी करें या अपनी 11वीं की वार्षिक परीक्षा पर फोकस करें।
विभागों में समन्वय की भारी कमी उजागर
झारखंड के शिक्षा विभाग के अंतर्गत काम कर रहे विभिन्न उपविभागों में आपसी समन्वय की भारी कमी इस विवाद की जड़ मानी जा रही है। JCERT ने शैक्षणिक सत्र की शुरुआत 1 अप्रैल 2025 से मानते हुए मासिक मूल्यांकन परीक्षा का शिड्यूल तय कर दिया, जबकि JAC ने 11वीं की परीक्षा का कार्यक्रम अलग से जारी किया। दोनों के बीच कोई तालमेल न होने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
गर्मियों की छुट्टी में खुले रहेंगे स्कूल
स्थिति तब और जटिल हो गई जब यह सामने आया कि JAC की ओर से जारी 11वीं की परीक्षा की तिथि 21 मई के बाद के ग्रीष्मावकाश में भी आ रही है। ऐसे में 789 सरकारी स्कूलों को गर्मी की छुट्टियों में भी खुला रखा जाएगा, ताकि 11वीं की परीक्षा कराई जा सके। इससे शिक्षकों और छात्रों—दोनों की छुट्टियों पर असर पड़ेगा।
प्रोविजनल नामांकन को लेकर भी दबाव
29 अप्रैल 2025 को झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से कक्षा 8वीं, 9वीं और 12वीं के लिए प्रोविजनल नामांकन लेने का आदेश जारी किया गया है। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर नामांकन प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश मिला है। यह स्थिति विभागीय दबाव और अव्यवस्था को और बढ़ा रही है।
क्या कहना है शिक्षा विभाग का?
हालांकि इस स्थिति पर विभाग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक जल्द ही दोनों परीक्षाओं की तिथियों में तालमेल बिठाकर संशोधित कार्यक्रम जारी किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
झारखंड शिक्षा विभाग का यह बेतुका फरमान न केवल छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न कर रहा है, बल्कि पूरी शिक्षा प्रणाली की समन्वयहीनता को भी उजागर कर रहा है। अगर जल्द ही इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो इसका सीधा असर विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य और परीक्षा परिणामों पर पड़ेगा।