सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा स्थगित
हमले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा को बीच में ही रद्द कर भारत लौटने का फैसला किया। उन्होंने सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों के प्रमुखों के साथ स्थिति का जायज़ा लिया और कड़े निर्देश दिए।
2. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक
पीएम मोदी ने 23 अप्रैल को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक बुलाई, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत उच्च सुरक्षा अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में सुरक्षा हालात, खुफिया जानकारी और संभावित जवाबी रणनीतियों पर गहन मंथन हुआ।
3. पाकिस्तान पर सीधी कार्रवाई
भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ अब तक के सबसे कड़े कदम उठाते हुए निम्नलिखित निर्णय लिए:
- SAARC वीज़ा छूट कार्यक्रम निलंबित
- पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश
- भारत-पाक सिंधु जल संधि को निलंबित किया गया, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाले जल प्रवाह पर रोक लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई
हमले के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना ने घाटी में सर्च ऑपरेशन तेज़ कर दिया है।
- संभावित आतंकियों के स्केच जारी किए गए हैं।
- कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है।
- ड्रोन और सैटेलाइट निगरानी बढ़ाई गई है।
विपक्ष और आलोचना की आवाज़ें
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रारंभिक चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा,
“जब देश के निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हैं, तब सरकार की चुप्पी क्यों? आतंकियों को सुरक्षा में सेंध कैसे मिली?”
अन्य विपक्षी दलों ने भी सरकार की खुफिया विफलताओं को उजागर किया और मांग की कि एक संसदीय समिति इस पर विस्तृत जांच करे।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
हमले की निंदा अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और यूरोपीय संघ जैसे देशों ने की है। इन देशों ने भारत के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए आतंक के खिलाफ मिलकर लड़ने का समर्थन किया है।
सरकार की आगामी रणनीति
सरकार ने सभी विपक्षी दलों को एक अखिल-पक्षीय बैठक के लिए आमंत्रित किया है, जहां हमले के पश्चात की स्थिति और आगे की रणनीतियों पर चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक, सरकार कश्मीर में स्थायी शांति के लिए नई नीति पर विचार कर रही है, जिसमें सुरक्षा बलों की तैनाती से लेकर स्थानीय प्रशासन को सशक्त बनाने तक की योजना शामिल है।
निष्कर्ष
22 अप्रैल का पहलगाम हमला इस दशक का सबसे भीषण नागरिक आतंकी हमला बन गया है। इसमें न सिर्फ 26 मासूमों की जान गई, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा और पाकिस्तान के साथ संबंधों पर भी गहरा असर पड़ा है। केंद्र सरकार ने अब तक के सबसे कड़े कदम उठाए हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए अपनी नीति को पुनर्परिभाषित किया है।