हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के प्रसादम, विशेष रूप से लड्डू, को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इसी विवाद के बीच भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ अपने परिवार के साथ तिरुमाला के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में पहुंचे। उन्होंने रविवार को मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की और भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त किया।
सीजेआई ने विशेष वैकुंठ पंक्ति से मंदिर में प्रवेश किया, जिसके बाद वे अपने परिवार के साथ गर्भगृह पहुंचे। गर्भगृह में उन्होंने भगवान वेंकटेश की विधिवत पूजा की। दर्शन के बाद मंदिर के पुजारियों ने उन्हें रंगनायकुला मंडपम में आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने उन्हें भगवान वेंकटेश का पोर्ट्रेट और प्रसाद भेंट किया। इस प्रसादम में लड्डू भी शामिल थे, जो तिरुपति मंदिर का एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रतीक है।
तिरुपति बालाजी लड्डू विवाद का मुख्य बिंदु
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम, विशेषकर लड्डू, को लेकर हाल ही में एक विवाद छिड़ा है। इस विवाद की जड़ में यह आरोप है कि लड्डू के प्रसाद में गाय और सुअर की चर्बी मिलाई जा रही है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने यह गंभीर आरोप लगाया था कि तिरुपति के प्रसाद में मिलावट की जा रही है। उन्होंने कहा कि जगनमोहन रेड्डी की सरकार के कार्यकाल में प्रसादम में उपयोग होने वाले घी में गाय और सुअर की चर्बी मिलाई जा रही थी।
चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि उन्होंने इस मुद्दे की जांच करवाई थी और रिपोर्ट में यह निष्कर्ष सामने आया कि प्रसादम में इस्तेमाल हो रहे घी में अशुद्धता थी। इस घी में गाय और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल हो रहा था, जो धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है और श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है।
जगनमोहन रेड्डी का आरोपों से इनकार
वहीं, आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह आरोप केवल राजनीतिक लाभ उठाने के उद्देश्य से लगाए जा रहे हैं और इनमें कोई सच्चाई नहीं है। रेड्डी का दावा है कि तिरुपति मंदिर का प्रसादम पूरी तरह से शुद्ध है और उसमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं की जा रही है।
रेड्डी के अनुसार, उनके राजनीतिक विरोधी इस प्रकार के झूठे आरोप लगाकर जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि राजनीतिक फायदा उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया है और यह विवाद अब न्यायिक जांच के अधीन है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला
यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, जहां सोमवार को इसकी सुनवाई होनी है। प्रसिद्ध नेता सुब्रमण्यम स्वामी और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष वाई. वी. सुब्बा रेड्डी ने इस मुद्दे पर याचिकाएं दायर की हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस विवाद पर अब कानूनी बहस होगी और यह उम्मीद की जा रही है कि न्यायालय इस मामले में तिरुपति मंदिर के लड्डू और प्रसादम की शुद्धता को लेकर किसी ठोस निर्णय पर पहुंचेगा।
धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण
तिरुपति बालाजी मंदिर न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से भी अत्यधिक महत्व रखता है। इस विवाद ने न केवल श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को प्रभावित किया है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है।
आधिकारिक तौर पर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) मंदिर के प्रबंधन और प्रशासन की जिम्मेदारी संभालता है। प्रसादम की शुद्धता और उसकी पवित्रता को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी टीटीडी की ही है। ऐसे में इस विवाद से न केवल टीटीडी की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि राज्य सरकार की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है।
आखिर में, इस विवाद का धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से व्यापक असर हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस मुद्दे पर अंतिम शब्द होगा, जिससे यह तय होगा कि तिरुपति बालाजी के प्रसादम पर उठे संदेहों का क्या परिणाम होगा।