बांग्लादेश की प्रधानमंत्री और अवामी लीग की नेता शेख हसीना ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि पिछले साल 5 अगस्त को उनका जीवन खतरे में था और मौत उनसे मात्र 20-25 मिनट की दूरी पर थी। शेख हसीना ने इस घटना के बाद अपनी जान बचाने के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा किया। उनका मानना है कि अल्लाह ने उन्हें बचाया, क्योंकि उनके लिए अभी कुछ बड़ा काम बाकी है।
जानलेवा परिस्थितियों का सामना
5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के दौरान उनकी अवामी लीग सरकार गिरा दी गई थी। इस समय हालात इतने खराब हो गए थे कि उनकी और उनकी छोटी बहन शेख रेहाना की जान पर बन आई थी। अवामी लीग पार्टी ने इस घटना से जुड़े एक संक्षिप्त ऑडियो नोट को अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर साझा किया। इस नोट में शेख हसीना ने उन खतरनाक पलों का जिक्र किया और बताया कि कैसे उन्होंने और उनकी बहन ने मौत को बेहद करीब से महसूस किया।
दो बार बच चुकी हैं मौत से
यह पहली बार नहीं है जब शेख हसीना ने अपनी जान के लिए संघर्ष किया हो। इससे पहले भी उन पर दो बार जानलेवा हमले हो चुके हैं, लेकिन वे दोनों बार बाल-बाल बचीं। उन्होंने कहा, “मैंने कई बार मौत को करीब से देखा है। शायद अल्लाह चाहता है कि मैं अभी कुछ बड़ा करूं। इसलिए उसने मुझे बचाया।”
आंदोलन के बीच अस्थिरता
5 अगस्त, 2024 को छात्र आंदोलन के कारण बांग्लादेश में अराजकता का माहौल था। हसीना ने अपनी सरकार गंवा दी थी और देश छोड़ना पड़ा था। इस दौरान उनकी जान को गंभीर खतरा था। उन्होंने अपने बयान में कहा कि अल्लाह की मर्जी से ही वे और उनकी बहन सुरक्षित निकल सकीं।
राजनीतिक संघर्ष और दृढ़ता
शेख हसीना की जिंदगी राजनीतिक संघर्षों से भरी रही है। वे बांग्लादेश की सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अपने नेतृत्व में देश को कई महत्वपूर्ण बदलावों की दिशा में आगे बढ़ाया। हाल के खुलासे से यह स्पष्ट होता है कि वे अपने राजनीतिक सफर में कितनी चुनौतियों का सामना कर चुकी हैं और अभी भी उनके इरादे मजबूत हैं।
जनता के लिए संदेश
अपने संदेश में हसीना ने न केवल अपने अनुभव साझा किए, बल्कि जनता को यह भरोसा भी दिलाया कि वे बांग्लादेश के विकास और स्थिरता के लिए काम करती रहेंगी। उन्होंने कहा, “मुझे जीवन मिला है तो यह किसी मकसद के लिए है। मैं अपनी जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं।”
निष्कर्ष
शेख हसीना का यह खुलासा उनके साहस और दृढ़ता को दर्शाता है। उन्होंने यह साबित किया है कि राजनीतिक मुश्किलों के बावजूद, उनका लक्ष्य बांग्लादेश की सेवा और विकास है। उनकी कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते।