रांची में शुक्रवार को होटल रेडिसन ब्लू में राष्ट्रीय सेमिनार – सड़क सुरक्षा 2025 कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें झारखंड के परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ ने सड़क सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए वाहन फिटनेस जांच, ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया और सड़क सुरक्षा शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
बिना जांच फिटनेस प्रमाण पत्र न दें एमवीआई
परिवहन मंत्री ने मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) को सख्त निर्देश दिए कि बिना जांच किए किसी भी वाहन को फिटनेस प्रमाण पत्र न दें। उन्होंने कहा कि “अगर बिना जांच के फिटनेस प्रमाण पत्र दिए जाते हैं, तो यह सड़क दुर्घटनाओं को आमंत्रण देने जैसा है।” कई बार पुरानी और खराब स्थिति में चल रहे वाहन भी बिना सही जांच के फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेते हैं, जिससे दुर्घटनाएं बढ़ती हैं। मंत्री ने विभाग से इस प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सख्त बनाने की बात कही।
ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया में होगा सुधार
मंत्री बिरुआ ने कहा कि झारखंड में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बिना समुचित प्रशिक्षण और टेस्टिंग के ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से सड़क पर अप्रशिक्षित चालक बढ़ रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही है। अब परिवहन विभाग ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को और कठोर बनाएगा, जिससे सिर्फ योग्य और प्रशिक्षित लोगों को ही लाइसेंस मिले।
बच्चों के सिलेबस में सड़क सुरक्षा की जानकारी होगी शामिल
परिवहन मंत्री ने ऐलान किया कि सड़क सुरक्षा और ड्राइविंग से जुड़ी जानकारियों को स्कूल के सिलेबस में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “आज के बच्चे कल के वाहन चालक होंगे, इसलिए उन्हें सड़क सुरक्षा की शिक्षा देना जरूरी है।” इस संबंध में वे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बातचीत करेंगे, ताकि इस पहल को जल्द से जल्द लागू किया जा सके।
सड़क सुरक्षा पर बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार की जरूरत
मंत्री ने कहा कि लोगों में सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यह जरूरी है कि लोग यातायात नियमों का पालन करें और सड़क सुरक्षा को अपनी आदत बनाएं।
रेस्क्यू ऑपरेशन और इंश्योरेंस क्लेम पर विशेष ध्यान
इस कार्यक्रम में परिवहन सचिव कृपानंद झा ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ट्रॉमा सेंटर, एंबुलेंस सेवाओं और आपातकालीन सहायता प्रणालियों को मजबूत किया जाए, ताकि दुर्घटना के बाद घायलों को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता मिल सके।
सचिव ने सड़क दुर्घटनाओं के बाद इंश्योरेंस क्लेम प्रक्रिया को भी आसान बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि “वर्तमान में पीड़ित परिवार को इंश्योरेंस क्लेम मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वकीलों की भारी फीस और लंबी कानूनी प्रक्रिया के कारण कई परिवार न्याय से वंचित रह जाते हैं। इसके समाधान के लिए झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) के साथ मिलकर काम करने की योजना बनाई जाएगी।”
सड़क दुर्घटनाओं के कारणों की गहराई से जांच होगी
परिवहन सचिव ने सड़क दुर्घटनाओं के विभिन्न पहलुओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कई बार दुर्घटना के पीछे सड़क डिजाइन, सिग्नलिंग सिस्टम और अन्य तकनीकी कारण होते हैं। उन्होंने कहा कि दुर्घटनाओं को केवल तेज गति का परिणाम बताकर नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए रोड इंजीनियरिंग में सुधार किया जाएगा और प्रत्येक सड़क हादसे का डेटा कैप्चर कर उसका विश्लेषण किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध
परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ ने स्पष्ट किया कि झारखंड सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर है और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि “आज इस सेमिनार में जो भी विशेषज्ञों के सुझाव आए हैं, उन्हें सरकार आत्मसात करेगी और सड़क सुरक्षा को और प्रभावी बनाएगी।”
निष्कर्ष
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सेमिनार में लिए गए निर्णय झारखंड में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। एमवीआई की सख्ती, ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया में सुधार, सड़क सुरक्षा की शिक्षा और रेस्क्यू ऑपरेशन की मजबूती जैसे उपायों से सड़क हादसों को रोका जा सकता है। अब यह देखना होगा कि सरकार इन फैसलों को कितनी तेजी से लागू करती है और झारखंड की सड़कों को सुरक्षित बनाने के अपने संकल्प को कैसे पूरा करती है।