झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी से रांची के एक इंजीनियरिंग छात्र अभिषेक रवि की मौत की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने इस घटना की निष्पक्ष और गहन जांच के लिए उड़ीसा सरकार से अपील की है, ताकि इस दुखद घटना के पीछे की सच्चाई सामने आ सके।
क्या है मामला?
रांची के डोरंडा के रविदास मोहल्ला निवासी अभिषेक रवि, जो उड़ीसा के भुवनेश्वर स्थित आईटीईआर (ITER) इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र थे, की हाल ही में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। कॉलेज प्रबंधन का दावा है कि अभिषेक की मौत सीढ़ियों से गिरने के कारण हुई है। हालांकि, अभिषेक के परिवार वालों ने इस दावे पर संदेह जताते हुए रैगिंग का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि अभिषेक रैगिंग का शिकार हुआ था, जिसकी वजह से उसकी जान चली गई।
हेमंत सोरेन की मांग
इस घटना को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गहरी संवेदना प्रकट की और कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि मौत के असल कारणों का पता लगाया जा सके। सोरेन ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी से अपील की कि वह इस मामले में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करें और निष्पक्ष जांच का आदेश दें।
हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और अभिषेक के परिवार के प्रति शोक प्रकट किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं बेहद दुखद और निंदनीय हैं, और दोषियों को कानून के तहत सख्त सजा मिलनी चाहिए।
परिजनों का आरोप: रैगिंग का मामला
अभिषेक के परिवार का आरोप है कि उसकी मौत का कारण रैगिंग है। उनका कहना है कि अभिषेक को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का शिकार बनाया गया, जिससे वह तनाव में था और इसी कारण उसकी जान चली गई। परिवार वालों ने कॉलेज प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है और कहा है कि इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।
अभिषेक के पिता का कहना है कि कॉलेज प्रशासन की ओर से उन्हें सही जानकारी नहीं दी गई और घटना को सीढ़ियों से गिरने का हादसा बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार से भी मामले में हस्तक्षेप की मांग की है ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
रैगिंग: एक गंभीर सामाजिक समस्या
रैगिंग, जो कि शिक्षण संस्थानों में नए छात्रों को प्रताड़ित करने की कुप्रथा है, आज भी देश के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जारी है। इसके कारण छात्रों को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना सहनी पड़ती है, जो कभी-कभी जानलेवा भी साबित होती है। अभिषेक की मौत इसी समस्या की ओर इशारा करती है कि आज भी कई संस्थान रैगिंग जैसी घटनाओं पर लगाम लगाने में विफल हैं।
इस तरह की घटनाएं न केवल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि उनके परिवारों को भी गहरे सदमे में डाल देती हैं। यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर कब तक छात्रों को रैगिंग जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा?
प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी
इस घटना के बाद प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। कॉलेज प्रबंधन को चाहिए कि वह मामले की पूरी तरह से जांच कराए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। इस तरह की घटनाएं संस्थानों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती हैं और समाज में डर का माहौल पैदा करती हैं।
झारखंड और उड़ीसा सरकार को मिलकर इस मामले की गंभीरता को समझते हुए निष्पक्ष जांच करानी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। इस घटना से यह भी आवश्यक हो जाता है कि रैगिंग की रोकथाम के लिए सख्त कानून बनाए जाएं और शिक्षण संस्थानों में निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाए।
निष्कर्ष
अभिषेक रवि की मौत ने एक बार फिर रैगिंग और कॉलेजों में प्रशासनिक लापरवाही की समस्याओं को उजागर किया है। इस मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा उच्च स्तरीय जांच की मांग सराहनीय है, लेकिन केवल जांच ही काफी नहीं है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है। सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के हर छात्र को एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिले, जहां वे बिना किसी भय के अपनी पढ़ाई और जीवन का आनंद ले सकें।