रांची।
राजधानी रांची में मॉनसून की पहली जोरदार बारिश ने नगर निगम की सफाई व्यवस्था की हकीकत सामने ला दी है। बीते मंगलवार से लगातार हो रही बारिश ने शहर की सड़कों, गलियों और कॉलोनियों को टापू में तब्दील कर दिया। जहां निगम की ओर से बड़े-बड़े दावे किए गए थे, वहीं जमीनी हकीकत यह है कि न तो समय पर नालों की सफाई हुई और न ही जलजमाव से निपटने के लिए तैयार की गई क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) कहीं नजर आई।
30 से अधिक मोहल्लों में घरों में घुसा गंदा पानी
शहर के लगभग 20 बड़े नाले उफन गए और 30 से अधिक मोहल्ले जलमग्न हो गए। पीपी कंपाउंड, स्टेशन रोड, हरमू, इटकी रोड, रातू रोड, कोकर, कांटाटोली और पंडरा जैसे प्रमुख इलाकों में कॉलोनियों के अंदर गंदा और दुर्गंधयुक्त पानी घुस गया। सड़कों से बहता यह पानी नालियों की सफाई न होने और कचरे के जाम होने का सीधा परिणाम है।
न सफाई हुई, न नालों की मरम्मत, और न ही QRT दिखी
बारिश के पहले नगर निगम ने युद्धस्तर पर सफाई अभियान चलाने की बात कही थी। लेकिन हकीकत में न तो बड़े नालों की सफाई हुई, न ही पानी निकासी के कोई पुख्ता इंतजाम किए गए। QRT की टीमें भी नदारद रहीं। चार जोन में बनाई गई ये टीमें दो घंटे की बारिश के बाद भी कहीं काम करती नहीं दिखीं। लोगों को न तो रिलीफ मिला, न कोई निगमकर्मी उनकी मदद को पहुंचा।
सड़कों पर पसरा सन्नाटा, बाजार भी रहे प्रभावित
बारिश के चलते कई प्रमुख बाजारों – जैसे पंडरा कृषि बाजार, अपर बाजार, डोरंडा और धुर्वा – में सन्नाटा छा गया। ग्राहकों की संख्या कम होने के कारण शाम होते-होते कई दुकानदारों ने अपने शटर भी गिरा दिए। पानी और कीचड़ के कारण व्यापार ठप रहा और स्थानीय लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
मौसम विभाग ने फिर चेताया – चार दिन और आफत
मौसम विभाग ने आगामी चार दिनों तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। 24 से 27 जून तक संताल और दक्षिणी झारखंड में तेज बारिश, वज्रपात और तेज हवाओं की संभावना है। रांची में अब तक 412 मिमी बारिश दर्ज की जा चुकी है, जबकि सामान्य आंकड़ा 115 मिमी का होता है – यानी 257% अधिक वर्षा हो चुकी है।
लोग घरों में कैद, बिजली कटी रही, कीचड़ से फिसलन
बारिश के बाद जब पानी कुछ इलाकों से निकला, तो पीछे छोड़ गया कीचड़ और फिसलन। कई मोहल्लों में लोगों को अपने ही घरों तक पहुंचने में भारी परेशानी हुई। बिजली आपूर्ति भी बाधित रही, जिससे डर का माहौल बन गया। कई लोग आशंका के चलते देर रात तक घरों में ही दुबके रहे।
निष्कर्ष:
रांची में आई यह प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि नगर निगम की लापरवाह व्यवस्था की देन है। बारिश ने साफ कर दिया कि समय पर नालों की सफाई, जलनिकासी की तैयारी और इमरजेंसी रेस्पॉन्स जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं सिर्फ कागजों पर चल रही हैं। आने वाले दिनों में अगर हालात नहीं सुधरे तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। नगर निगम को अब जवाबदेह होना ही होगा।